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भट्टारक-पट्टावली
0 डॉ० पी० सी० जैन सादकीय नोट--
बीत काल मे विविध-साहित्य प्रचुर मात्रा मे लिखा और सकलित किया जाता रहा है, कुछ मूल आगमो की व्याख्या के रूप मे, कुछ स्वतत्र रूप में और कुछ सकलन के रूप मे। ऐसे सकलनो में भट्टारक परम्परा की ऐमी पट्टावलियां भी मिलती हैं जिनमे श्रेणी-बद्धता, क्रम-एकरूपता और कही-कही पूर्णता का अभाव भी परिलक्षित होता है। यद्यपि भट्टारक शब्द पूर्व-काल में केवली, श्रुतकेवली, दिगम्ब गवार्य-मुनियो के लिए प्रयुक्त होता रहा है तथापि बाद के काल में इस शब्द को वस्त्रधारी-थावको के लिए भी खीच लिया गया। शायद महिमा पाने के लिए वस्त्रधारी भी भट्रारको में सम्मिलित होने लगे हो । इमसे उनकी लोकमहिमा में तो वृद्धि हई पर चारित्र की दृष्टि से वे महाव्रतियों से दूर ही रहे। ऐसे में पद की अपेक्षा भेद करना कठिन होता चला गया और सभी एक श्रेणी में बैठने लगे। प्रस्तुन पट्टावली उसी का एक नमूना है -पूरा घोल मोल । इससे दिगम्बराचार्य-मुनियो और वस्त्रधायिो में कोई अन्तर शेष न रह गया। वर्तमान में तो भट्टारक शब्द आचार्यादि से हटकर मात्र वस्त्रधारियो के लिए ही शेष रह गया है, जबकि होना ऐसा चाहिए था कि ये दिगम्बर-वेश मे ही प्रयुक्त किया जाना और यदि वस्त्रधारियो में इसका प्रचलन कर भी लिया गया हो तब भी विभिन्नगण-गच्छ के समस्त दि० आचार्यों को क्रमवार एक (ऊंची) श्रेणी मे और वस्त्रधारी भट्टारक नाम पा गए) थावकों को अन्य पृथक श्रेणी में रखा जाता। यह विषय परिमार्जन की अपेक्षा रखता है। आशा है मनीषी विचारेंगे ।
-सपादक नागौर स्थित भट्टारकीय दिगम्बर जैन ग्रन्थ भण्डार में प्रथ मख्या-- ८४०८ की भट्टारक पट्टावली में मूल सघ के गरस्वती गच्छ एव बलात्कारगण के प्रमुख भट्टारको की विस्तृन नामावलि दी है। इसके माथ ही उममे भद्रारकीय गादी अजमेर तथा आम्बेर की भी सूची दी है जो निम्न प्रकार हैग्रन्थ पट्टावली स-४४०८ ६. भट्टारक श्री उमास्वामी जी १६. भट्टारक श्री वमुनन्दि श्री महावीर जी
, लोहाचार्य जी
श्री वीर नन्दि श्री गौतम स्वामी जी
,, यश. कीति जी
श्री रत्न नन्दि श्री सुधर्माचार्य जी
, यशोनन्द जी
श्री माणक नन्दि श्री जम्बू स्वामी जी
,, देव नन्दि जा
श्री मेघ चन्द्र जो विष्णु नदि श्रुतकेवली
, गुणनन्दि जी २४. , श्री शान्ति कीति जी नन्दि मित्र
,, वज्रनन्दि
थी मेरुकीर्ति जी अपराजित
, कुमार नन्दि
श्री महा कीर्ति १. भट्टारक श्री भद्र बाहु जी १४. , , लोकचन्द्र जी
श्री विश्व नन्दि २. , , गुप्ति गुप्त
, प्रभाचन्द्र जी
श्री शान्ति कीर्ति , माघनन्दि १६. , , नेमचन्द्र जी २६. श्री सील चन्द्र जी जिनचन्द्र जी ,, भानुनन्दि जी
श्री नन्दि जी , पपनन्द जी , सिंह नन्दि
श्री देशभूषण जी
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