Book Title: Anekant 1983 Book 36 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 58
________________ १६, वर्ष ३६, कि०२ अनेकान्त जो चरणचौकी पर बायी ओर मुख किये बैठा है। यह भगवान आदिनाथ की एक चौबीसी भी कम महत्व. प्रतिमा ९६.५४४८.३ सेंटीमीटर का है तथा हल्के ग्रेनाइट पूर्ण नही है। जिन पद्मासन मुद्रा में एक कमल आसन पत्थर मे खुदा हुआ है। यह प्रतिमा निस्संदेह पाचवी- पर आसीन हैं । चरण चौकी के मध्य में धर्मचक्र के स्थान छठी शताब्दी की है। इस प्रतिमा मे यक्ष-यक्षिणी का पर शासन देवी चक्रेश्वरी स्वयम् एक शिशु को गोद में अकन नही हुआ है। लिये बैठी है । जिनके एक ओर लांछन बल तथा दूसरी दूसरी जैन प्रतिमा भी भगवान आदिनाथ की है जो ओर एक हाथी है। भगवान आदिनाथ के अगल-बगल में कायोत्सर्ग मुद्रा में है। इनके मस्तक के ऊपर त्रिछत्र दो चामरधारी सेवक खडे हैं। भगवान का धुंधुराला केश सुशोभित है जो चैत्यद्रुम से आच्छादित है इनका केश भगवान बुद्ध के उष्णीष की भांति है। श्रीवत्स चिह्न विन्यास माधारण है। जिनके लम्बे कान उनके कधे पर नही दीख पडता है। जिनके मस्तक के दोनों ओर दो लटक रहे है । उनका आजानबाहु तथा श्रीवत्स चिह्न जैन विद्याधर लबे पुष्पहार लिए हुए है । चैत्यद्रुम से आच्छाप्रतिमा विज्ञान के अनुरूप है । इनके दोनो ओर छह छोटी दित त्रिछत्र जिनके मस्तक पर सुशोभित है तैइस अन्य छोटी प्रतिमाए अकित है जिनमे ऊपर मे दायी ओर शासन तीर्थकर पद्मासन मुद्रा में भगवान आदिनाथ के चारों देवी चक्रेश्वरी तथा बायी ओर यक्ष गोमुख है । ये दोनो ओर अत्यन्त सुदरता से अकित किये गये है। जिनके लाछण कमल पर समपर्यकासन मुद्रा में बैठे है। इनके नीचे स्पष्ट है। यह प्रतिमा काले बसाल्ट पत्थर में उत्कीर्ण दोनों ओर सम्भवतः जिनके माता-पिता हैं । चरण चौकी कप र किया गया है तथा इसका माप ६०४३६ सेंटीमीटर है। के मध्य में धर्मचक्र है जिनके दोनो ओर भगवान आदि भागलपुर के जैन मूर्तिकारों ने परम्परागत 'युगलिया' नाथ का लाछन बैल अकित है। यह प्रतिमा काले तियानोभी किया। 'गालिया' जिनको बसाल्ट पत्थर की है जिसका २५.४४ १५.३ सेटीमीटर विद्वानो ने युग गोमेध तथा शासनदेवी चक्रेश्वरी की संज्ञा माप है इसे सातवी सदी का माना जा सकता है। दी है" पूर्ण विकसित कमल पर ललितासन मे विराजमान भगवान आदिनाथ की पद्मासन मुद्रा मे बैठी प्रतिमा है। इन्होने सुन्दर मुकुट आभूषण आदि को धारण किया अत्यन्त आकर्षक है। जैन ग्रथ विवेक विलास" मे वणित है। इनके दाहिने हाथो मे एक-एक फल तथा बायें हाथ से विधान के अनुरूप इस प्रतिमा का अकन किया गया है। पकड़े गोद में बिठाये एक-एक बालक है। इनके नीचे चार भगवान आदिनाथ अतिसुन्दर त्रिछत्र के नीचे ध्यानमुद्रा में अन्य बालक तथा बगल में एक बालक बैठा है। इनके बैठे है। इनके वक्ष पर श्रीवत्स चिह्न अकित है। इस ऊपर चैत्यद्रुम के ऊपर कमलदल पर एक राजसिंहासन प्रतिमा मे जिनके शासन देवी तथा यक्ष की अनुपस्थित रखा हुआ है जिसपर भगवान आदिनाथ पद्मासन मुद्रा में महत्वपूर्ण है। भगवान आदिनाथ की वतबंध जटाजट कधे आसीन हैं । जिनके मप्तक के पीछे एक अलंकृत प्रभामण्डल तक लटकते लम्बे कान तथा घंघराले केशवल्लि प्रतिमा- है जिसमें अतिसुन्दर छत्र अकित हैं। कुछ विद्वान जिनके शास्त्र के विधानों के अनुरूप है। भगवान आदिनाथ नीचे मे आसीन युगलजोड़ी को उनका माता-पिता मानते मस्तक के ठीक ऊपर दोनो ओर शासन देवी चक्रेश्वरी तथा हैं।" ऐसी प्रतिमा बिहार तथा बगाल प्रदेश में कम यक्ष गोमुख कमलदल पर आसीन हैं। यह बिहार के जैन संख्या मे मिलती हैं। यह प्रतिमा काले बसाल्ट पत्थर मे प्रतिमा विज्ञान मे एक अद्भुत कलाकृति है। यह प्रतिमा उत्कीर्ण है । इसकी सजीवता हमें अत्यन्त आकर्षित करती काले बसाल्ट पत्थर में अकित है तथा इसका मार हैं। बिहार प्रान्त में अब तक प्रकाशित यह प्रथम युगलिया ६५ सेंटीमीटर है। यह प्रतिमा आठवीं शताब्दी की है। है। इसका माप ३०.५४५.३ सेंटीमीटर है। चरण चौकी के मध्य में धर्मचक्र तथा उनके दोनों ओर दो सोलहवें तीर्थकर भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा बैल, जो जिनके लक्षण है सुन्दरता पूर्वक अंकित हैं। कलात्मक दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यह काला

Loading...

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166