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इस अंक मेंक्रम विषय
पृ० क्रम विषय १. सीख
१ ७. निमित्ताधीन दृष्टि-श्री बाबूलाल जैन वक्ता २३ २. सम्यक्त्व-कौमुदी सम्बन्धी शोध-खोज
८. भट्टारक पट्टावली-डा० पी० सी० जैन -डा. ज्योतिप्रसाद जैन
२ ६ . "भाव संग्रह" की लिपि प्रशस्ति ३. नव वर्ष दिवस-रमाकान्त जैन
६ -कुन्दनलाल जैन प्रिन्सिपल ४. पर्युषण-कल्प-डा. ज्योति प्रसाद जैन
१०. आचार्य कुन्दकुन्द की जैन दर्शन को देन ५. डिग्गी (राज.) के दि० जैन मन्दिर में उपलब्ध
- डा. लालचन्द जैन, वैशाली हिन्दी का प्रथम पद्म पुराण-डा. कस्तूरचन्द
११. विचारणीय-प्रसंग-श्री पपचन्द्र शास्त्री कासलीवाल
१० १२. जरा-सोचिए-सम्पादक ६. बिहार मे जैन धर्म : अतीत एवं वर्तमान-प्रो० १३. साहित्य-समीक्षा
आ. पृ. ३ डा० राजाराम जैन, आरा
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स्वर्गस्थ सरसेठ भागचन्द जी सोनी के प्रति श्रद्धाञ्जलि
जैन शासन के अनन्य सेवक, देव-गुरु-शास्त्र के निष्ठावान आराधक, जैन-रत्न, सर ऐठ कैप्टिन भागचन्दजी सोनी का निधन समूचे जैन समाज की ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति निकट भविष्य में सम्भव नही लगती।
जिन वाणी के प्रसार में, जैन तीर्थों के सरक्षण में और समाज संगठन के क्षेत्र में दीर्घ अवधि तक अपनी बहुमूल्य सेवायें समर्पित करके श्री भागचन्दजी सोनी ने जैन इतिहास में अपने अमिट हस्ताक्षर अंकित किये है। साधुसेवा और शास्त्र स्वाध्याय के द्वारा उन्होंने अपने जीवन को साधनामय बनाकर एक आदर्श श्रावक का उदाहरण प्रस्तुत किया । उनके व्यक्तित्व में सात्विकता, सहृदयता, विद्वत्ता और सरलता आदि अनेक विशेषतायें थी। उनके निधन से समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। वे एक मानवता प्रेमी व्यक्ति थे और समाज कल्याण के कार्यों में उनकी गहरी । अभिरुचि थी।
बीर सेवा मन्दिर सोसाइटी की कार्यकारणी की दिनांक ८-८-८३ की बैठक में स्वर्गीय आत्मा की सद्गति एवं सुखशान्ति के लिए खडे होकर दो मिनट का मौन रखा गया और उनके परिवार-जनो के प्रति सवेदना प्रकट की गई।