Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास
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प्रोफेसर सत्यकेतु ने कई वर्षों तक भारत में अग्रवाल इतिहास की खोज की। वे काशी, मेरठ, हिसार, अगरोहा, दिल्ली, कलकत्ता, पूना श्रादि विविध स्थानों पर गये, और वहां पर इस विषय की सामग्री एकत्र की । काशी के सरस्वती भवन पुस्तकालय, दिल्ली की इम्पीरयल सेक टेरियट लायब्रेरी, पूना के भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टिट्यूट, कलकत्ता की इम्पीरियल लायब्रेरी आदि में जाकर उन्होंने देर तक इस विषय की गवेषणा की । बाद में, वे इसी कार्य के लिये यूरोप गये । अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी अग्रवाल जातीय कोष, बम्बई और श्री. भगीरथमल जी कनोडिया, कलकत्ता ने इस कार्य में उनकी बड़ी सहायता की। अग्रवाल जातीय कोष की ओर से उन्हें १७५ रु० मासिक सहायता इस कार्य के लिये दी गई । यूरोप के बहुत से पुस्तकालयों में उन्होंने अग्रवाल इतिहास की सामग्री को एकत्र करने का प्रयत्न किया । इन में, बृटिश म्यूजिम, लण्डन; इण्डिया इन्स्टिटयूट, आक्सफोर्ड; बिब्लिओथेक नेशनाल, पेरिस तथा इण्डिया आफिस लायब्रेरी, लण्डन मुख्य हैं। इस खोज के परिणाम स्वरूप उन्होंने अग्रवाल जाति का इतिहास फ्रेंच भाषा में लिखा और उसे पेरिस यूनिवर्सिटी में वहां की सब से ऊँची डिग्री डी. लिट. के लिये निबन्ध (Thesis) रूप में पेश किया। इसी पुस्तक पर उन्हें सम्मान के साथ ( with Honours ) डी. लिट. की डिग्री प्राप्त हुई। प्रोफेसर फूशे, डा० ब्लाक और प्रोफेसर रेनू जैसे संसार प्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वानों ने उनके कार्य की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की। पेरिस के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर रेनू ने इस ग्रन्थ को भारतीय इतिहास की खोज के क्षेत्र में एक सर्वथा मौलिक और महत्वपूर्ण कार्य बताया और सार्वजनिक रूप से इसके लिये लेखक को बधाई दी। भारतीय इतिहास के क्षेत्र में यूरोप के ये विद्वान विश्व भर में विख्यात हैं,
और इनका डाक्टर सत्यकेतु के इस ग्रन्थ की इस प्रकार प्रशंसा करना इसके महत्त्व तथा प्रामाणिकता को भली भांति सूचित करता है।
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