Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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निवेदन
अग्रवाल जाति का कोई भी प्रामाणिक इतिहास अब तक प्राप्त नहीं था । इसकी आवश्यकता देर से अनुभव की जारही थी। कई महानुभावों ने अग्रवाल इतिहास पर छोटी छोटी पुस्तकें प्रकाशित भी कीं, पर जनता को इनसे सन्तोष नहीं हुवा । ये पुस्तकें प्रायः सर्वसाधारण में प्रचलित किम्वदन्तियों के आधार पर ही लिखी गई थीं। साहित्यिक व अन्य प्रामाणिक सामग्री के आधार पर अग्रवाल जाति का कोई इतिहास अब तक तैयार नहीं हुवा था ।
इस इतिहास की आवश्यकता इतने प्रबल रूप में अनुभव की जारही थी, कि अखिल भारतीय अग्रवाल महासभा ने अपने इलाहाबाद वाले वार्षिक अधिवेशन में एक प्रस्ताव द्वारा यह उद्घोषणा की, कि जो महानुभाव अग्रवाल जाति का प्रामाणिक इतिहास लिखेंगे, उन्हें २५०० रु० का पारितोषिक अग्रवाल महासभा की ओर से भेंट किया जायगा । पर इस उद्घोषणा का भी कोई परिणाम नहीं निकला । अग्रवाल महासभा ने भी इस प्रस्ताव को क्रिया रूप में परिणत करने के लिये कोई उद्योग नहीं किया ।
आखिर इस कार्य को प्रोफेसर सत्यकेतु विद्यालंकार ने अपने हाथों में लिया । श्रीयुत सत्यकेतु भारत के प्रसिद्ध इतिहासज्ञों में गिने जाते हैं, और उच्च कोटि की अनेक इतिहास - पुस्तकों के लेखक हैं । "मौर्य साम्राज्य का इतिहास" नामक मौलिक तथा खोजपूर्ण पुस्तक पर उन्हें अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद की ओर से १२०० रुपये का मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिल चुका है। इस पुस्तक का विद्वानों में इतना आदर है, कि हिन्दू विश्वविद्यालय काशी ने इसे एम० ए० ( इतिहास ) की पाठ्य पुस्तकों में नियत किया है ।
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