Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 290
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૨૮૯ असरणानुप्पेहा [अशरणानुप्रेक्षा] १२५ || वव. २४२.२४३: ભાવની ચિંતાવના असह [असह) हेय९२-७२७२ क्षेत्रना मनुष्यनी ठा. २६१: भग. ९६८ः એક જાતિ उव. २०: सम. २२२: असरमाण [अस्मरत्] न संभारातो असह [असह] सहनशील नाते वव. ११०.१११: जीय. ६९; असरिस [असदृश] असमान .. असहंत [असहमान सहन न तो सूय. ७१०, भग. ५५७: नाया. १८८: पण्हा. १२; जीवा. १०५,३३७; | असहन [असहन] सहनन ते असरीर [अशरीर] शरीर रहित नाया. १४२ टा. ४८८,५२१,६६७,७२१,९६६: असहमान [असहमान सहन न तो भग. ३९०,७०२,७३३ः ठा. ३४७,४४३; उव. ५५.६६, राय.७३, भग. १६३.१७४: पन्न. २४६,६२१; देविं. २८०.२९०ः । नाया. १६३,१६४ असरीरपडिबद्ध [अशरीरप्रतिवद्ध] सर्व मोहर असहिज्ज [असाहाय्य] सहायनी अपेक्षा न આદિ શરીર રહિત કરનાર भग. ७३३; राय. ४८,६६,८०: असरीरि [अशरीरिन्] शरीर शहित, सिद्ध असहु [असह] यारित्रनु ४ष्ट सहन रवाने ठा. १०८,५२६; भग. ८३,१०८,२२०,२८६,६६१,७२२, ओह. ९८; ७२४: असहेज्ज [असाहाय्य] शुओ ‘असहिज्ज' जीवा. ३७३,३९०ः पन्न. ५७०; सूय.६७१.७९४: असलेसा [अश्लेषा] मे नक्षत्र भग. १३०.६२७: नाया.६६: सम. ३५; उव. ९,१३; उव. ५०.५१: असल्लगत्तण [अशल्यकर्तन माया-नियारामने असाढय [अषाढक] अषाढ़ मास संबंधि મિથ્યાત્વરૂપી શલ્યને ન છેદનાર જાતની વનસ્પતિ सूय. ६६४,६६६,६६९,६७१; पन्न.७८ः असवक्क [अवशोक शो करनी असात [असात शतावेहनीय भोगवंत महानि. १४८४: टा. ५३१, पन्न.५९५,५९६: असवणया [अश्रवण] न समजते असातवेदग [असातवेदक] साता वहनीय भ भग. ९८ः ભોગવનાર જીવ असव्वन्नु [असर्वज्ञJछमस्थ पन्न. २९४ भग. ६३७,६४४, असाता [असात हुमो ‘असात' अससणिद्ध [असस्निग्ध] ३१ भग. १०४५: वव. २४२,२४३: असातावेयणिज्ज [असातवेदनीय) वहनीय अससरक्ख [अससरक्ष] धूण रहित કર્મની એકપ્રકૃતિ જેના ઉદયથી જીવદુઃખ પામે અસમર્થ Jain Edlication International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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