Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 385
________________ ३८४ देविं. १८८ : उत्त. ३४,९५३: दसा. ४: आसनपुरेक्खड [आसन्नपुरस्कृत ] ना आजमां આગળ આવનાર महानि. १३८४: आसपुरा [अश्वपुरी] पद्मा विष्४यनी राष्४धानी जंबू. १८९ : आसपोसय [अश्वपोषक ] घोडाने पाजनार ठा. ९६,४७९: ४४६,४६०,४६३,४८९, ४९७,५०३,५०५: सूय. ६५३: ठा. ९९, ४२८, ४५५: भग. २५,३५९, ५०६, ५८७, ६७६ : नाया. ३३,१५१, १६५, १७५, १७६, १८५: अंत. १३: विवा. ३७: पहा. १५, १९, ३८,४५; उव. ३२,४४,५१: पत्र. १६२: राय. ४७: जंबू. ३७,४९,६१,६८,६९,१२१,१२४; पुप्फि. ७,८ : बुह. ६ : दसा. १०१: अनुओ. २३५,३१०: आसमण [आस्रवण] आवते निसी. १२७५: आसमद्दग [ अश्वमर्दक] घोडाने मालीश डरनार Jain Education International निसी. ६०१ : ठा. ६८८; आसप्पमद्दय [ अश्वप्रमर्दक] घोडाने जा आसमुह [अश्वमुख ] जे अंतर्द्वीय શીખવનાર ठा. ३२४; जीवा. १४२ ; निसी. ३४९; वव. ३३,१०३, १०४: उत्त. २७०: नाया. १८६ : आसमद्दय [अश्वमर्दक] दुखो 'उपर ' नाया. १८६ : आसमपय [ आश्रमपद] आश्रम नामे खोजखातुं એક સ્થાન, એ નામક ઉદ્યાન पण्हा. ३४: नाया. २०७; पत्र. १६६; आसम [आश्रम]आश्रम, तापसनुं निवास स्थान, आसमुहदीव [अश्वमुखद्वीप ] भो 'पर' ચાર આશ્રમ પૈકીનો એક आया. २३५.२३९,३४७,३५१,३८४, ३९८, आसममारी [ आश्रममारी] आश्रममां सायेस મારી-મરકીનો રોગ भग. १९५: आसमाण [आसीन ] जेहेलो उत्त. १२०५: दस. ३२: आसमिंठ [दे.] अश्व परिभा निसा. ६०३: आसमित्त [अश्वमित्र ] खेड निलव आगमस ठा. ३२४: आसय [आशक] पानारो आया. १७२: आसय [आशय ] भित्तवृत्ति, परिएलाम भग. ६४१,६४३ : सम. २२७; आसय [आश्रय] खासय, स्थान, भडान, सेववा યોગ્ય, આધાર पण्हा. ८; अनुओ. ३०३,३०४; आसय [आस्यक] भोढुं आया. ८४, २१९; निर. १३.१५; आसय [आस] जेस भग. ३१२,४८४ : नाया. १८५, २२०: जीवा. १४३ : राय. ३२.६६; जंबू. ६, १३, १४,३२,१२७, १३५.१३८. उत्त. २५४,१०८१: विवा. ६; दस. १६०: १४१.१७०, १७१.१७४, १८४.१९४. १९७ थी २०० : आसय [ आ + स्वद् ] याप सम. ९६: आसर [आ+] सरवु, जसवं For Private & Personal Use Only नाया. २४ : नाया. ५७: आसरयण [ अश्वरत्न ] यवर्तीनुं अश्व नामनुं रत्न ठा. ६५७; सम. ३१: www.jainelibrary.org

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