Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 446
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४४५ सूय. १३५,१८६.६३७; देविं. ३०,४०,७८.९३.१८५: ठा. ८६ थी ८८,९६,९७,२११,३२४,३२७ बुह. ५० वव. २३९; थी ३२९,४७२.५१३,५७३,७३४,७४९ थी दसा. ४९: दस. १७८ ७५१,७५९,७७३,८०८,८४७,८६५,८६७, ओह. २४१: ९०४.९०९: उत्त. १०९,१४८,१५४.३६०,१३७३, सम. १३,१९,४०,४५,१२१,१५१,१५९, १५१७,१५१८: १६७,१७७,२२६,२३४,२३७,२३८,२४१, उत्तर [उत् + २ नीj २४४,२८३,३८०; आया. ४५९; नाया. ६२,१७८; भग. ६०,१४०,१६०,१७०,२००,२०८, अनुत्त. १; जंबू. ७९,९०; २१६ थी २१९,२२०,२२५,२३८,२९२, निसी. ७८८: २९३,३०१,४७७,५०६,५०८,५११, । | उत्तरओ [उत्तरतस्] उत्तरशिथी ५४६,५५०,५७३,५७४,६८७,७०८,७८७, नाया. ५५; पन्न. २०९; ८४६,८५४,८७४,८७५,९५३; जंबू. ११; दस. २५८; नाया. २५,४१,४६,५७,७६,१४४,१५८, | उत्तरंग [उत्तरङ्ग] ६२वानी 6५२मुंजालाई १७०,१७६,२१०; राय. २७; जीवा. ७५८; उवा. १४,१७,१८,५३; उत्तरंत [उत्तरता पा२:२तो विवा. २१,२२,३१.३३; उव. १२; || संथा. ५६ निसी. ७५८; राय. १५,२८,३०,३१,३६,४५,५२,७१, | उत्तरकंचुइज [उत्तरकञ्चकीय]७५२१५२५३२८१ ८२; विवा. १२: जीवा. ५६,८०,८७.९३,९५,१५०,१५४, उत्तरकंचुइय [उत्तरकञ्चुकीयो 6५२' १६०,१६३,१६४,१७०,१७४,१७५,१८१, विवा.१२; १८२,१८५ थी १८९,१९१,१९४,१९८, उत्तरकरण [उत्तरकरण] भूगया ५छीनी विशेष २०१,२०५,२२८,२८७,२९४,३१२,३१५; पन्न. १९६ थी १९८,२०५,२१८,२२५,२२८, ક્રિયા, ગુણાધાન २३२ थी २३४,२५७ थी २६०,२९५,४३७, निसी. १५ थी १८. ७२ थी ७५; ४७८; उत्तरकिरिया [उत्तरक्रिया वैशिरीर द्वारा मन सूर. २२,२३,२८,३०,३३,५४,८८,१०१, | કરવું તે १०९,१२३.१३८,१४१,१९५; भग. २२०; जंबू. ११ थी १३.२०,५४,७६,९४,९६, || उत्तरकुरा [उत्तरकुरुमे नाम से युति क्षेत्र, १०१,१०४,१२७ थी १२९,१३१,१३४, ઇશાનેન્દ્રની રામા નામની રાણીની રાજધાની, १३५,१३७ थी १४३,१४६,१५१,१५७, એક શિબિકા, એક વાવડી, એક ઉદ્યાન १६२,१६६ थी १७८,१८०,१८३,१८४, ठा. ८६,८७.८९,९६.९७,२११,३२१, १९४,१९६,१९७,२००.२०६,२०९, ३२९,४७२,५७३,९१४.९८४: २११,२२६,२२८, २४९,२५३,२५७, सम. १२७,२७९: भग. ७९३: २५८.२७०.२७४ थी २७६,३००,३०३. जीवा. ५३,१८५ थी १८७,१८९.१९०ः ३२२,३२७,३३९,३४४,३६०,३६१; जंबू. १४० थी १४३, १४६,१६३.१८०, १९४; पुष्फि . ७: पुष्फ. ३: अनुओ. ३१० वण्हि . ३: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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