Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૫૦૬
आया. ४६६, ४००,४०१, ४३०, ४८०. ४८१,४८६,४९२,५०६.५०८;
६८८,७०३,७११,८७४, ८७५, ८७८,८७९, ९२१,९२७,९३३,९३७ थी ९४०,९५५, ९६४, १००७,१०१३, १०१९, १०२३ थी १०२६, १०४१.१०५०, ११२७,११३३, ११३९, ११४३ थी ११४६, ११६१. ११६९,११८०, ११८६, ११९२, ११९६ श्री ११९९, १२१४, १२२३, १३०३,१३०४, १३०७, १३०८:
बुह. ५५;
दस. ३५६:
उसिणोदय [उष्णोदक] गरम पाएगी
जीवा. १८: उसिणोसिण [उष्णोष्ण] अति गरम
सूय. १२८.६५८;
निसी. ६,७९,१३७,१४२, १४९, १५३ थी १५६, १७१, १७९, २५४,२६०, २६६, २७० थी २७३, २८८, २९६, ३२७, ३९९, ४०७,
सम. ११५,१४७:
४२०,४२६,४३२,४३६ थी ४३९,४५४. उसुकारिज [इषुकारीय] उत्तर यएरा' सूत्रनुंखेड
અઘ્યયન
४६२,४८७,४९३,४९९,५०३ श्री ५०६, ५२१,५२९,६६९, ६७५,६८१,६८५ थी
पण्हा. ८;
उसिय [ उषित] रहेल, वसेल
आया. २००;
उसिय [उच्छ्रित] व्याप्त
पण्हा. १५:
दसा. ३५;
नाया. ७५:
उसु [ इषु] जाए, तीर
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सूय. २६६:
भत्त. १२८;
उसीर [उशीर] खेड सुगंधी द्रव्य
सूय. २८५:
पण्हा. ४५:
राय. १५:
जीवा. १६४:
उसीरपुड [ उशीरपुट] सुगंधी द्रव्यनी गुटि
नाया. १८५:
जंबू. १४१ : उसीसामूल [उच्छीर्षमूलक] जोसीझनो नीयेनो
ભાગ
आउ ६८ :
सूय. ३०७,३३०.३४१,६५२: भग. ८९.९०,२४६, २४७, ३७१, ३७५: अंत. २० : राय. ६८,
जीवा. १८५:
जंबू. ६२,७३,९६:
उसुकार [इषुकार]
आगमस कोसो
पर्वत
सम. ६०;
उसुकाल [.] उपस
निसी. ७९७,८९०,११०६, १३१९; उसुगारपव्वय [इषुकारपर्वत] खेड पर्वत विशेष
ठा. ९६:
उसुय [ इषुक ] जाएगना खाडारनुं खेड खाल पुप्फि. ८:
उसुयार [इपुकार] खेड नगर तेनो राभ विवा. ३९;
ठा. ४७२;
उत्त. ४४२:
| उसुयाल [दे. ] उपल
उत्त. ४४२४४४,४८९ :
उसुयारिज [ इषुकारीय] दुखो उसुकारिञ्ज
आया. ४८२, ४८६,४९२:
उस्स [दे.] खोस, आज
सूय. ६९१: निसी. ५४३ : दसा. ३:
उस्सक्क [ उत् + ष्वष्क] अहीस अखं
पन्न. ४६९ :
उसक्कत्ता [ उष्वष्क्य] नियताण जाह उरायेल
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ठा. २६१:
बुह. १३९ थी १४२:
उत्त. १५४९:
ठा. ५६३:
उस्सक्किया [उत्ष्वष्क्य ] नियताण
दस. १३८:
उस्सग्ग [उत्सर्ग] प्रयोत्सर्ग, त्याग, अय व्यापारनो त्याग, भणभूत्राहि त्याग, द्रव्य - लाव लेहे ત્યાગ કરવો તે, સામાન્ય વિધિ, ઉપયોગ
सम. ६:
भत्त. ४४:
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