Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૫૦૫
राय. २०.३९: जीवा. १६९; | उसहकूड [ऋषभकूट) मे 2 उसभकंठग [ऋषभकण्ठक] मे २त्न
जंबू. २१,४९,१६९: जीवा. १७७;
उसहच्छाया [ऋषभछाया] छाया - विशेष उसभकूट [ऋषभकूट] मे शि५२
पन्न. ४४१: जंबू. २१.९७.१६९,२४९:
उसहसंघयण [ऋषभसंहनन] संहनन उसभकूड [ऋषभकूट] मे शिप२
जंबू. ५५ ठा. ७५१: .
उसासमित्त [उसासमात्र प्रभात पर्यन्त उसभज्झय [ऋषभध्वजा व विमान महाप. १०१;
राय. ३०: जीवा. १७७: | उसिण [उष्ण] गरम, ए, स्पर्श, ७९501, उसभनाराय [ऋषभनाराच] संघयानो मे १२ | એક પરિષહ ठा. ५३७: भग. ८३९,८४०: ।। आया. ११२,१४९, सूय. ६४१:
जीवा. ४६; पन्न. ५४०,५४१; | ठा. ४७,१४८,४०७,७०४,९६५; उसभमंडलपविमत्ति [ऋषभमण्डलप्रविभक्ति] | सम. ५२,२४९; એક દેવતાઇ નાટક
भग. १३७,१७२,३६८,३८३,४१६,४२०. राय. २४:
४७८,४७९,६४१,७४०,७५५,७८६.७८७, उसभललियविक्वंत [ऋषभललितविक्रान्त पण ८८७ थी ८८९; જેવી સારી ગતિવાળો
नाया. १६४; पण्हा. ४३,४५, राय. २४;
जीवा.५,८७,१०५: उसभसंठिय [ऋषभसंस्थिता पहना मारिनु
पन्न. १३,३०८,३०९,३२४.३५६,३५७, भग. ३९१:
३९१,५५४,५५५,५५७.५९०,५९६; उसभा [ऋषभाशाश्वती प्रतिमा
बुह. १५४; दस. २८७: राय. ३६; जीवा. १७५,२९४:
उत्त. ४९,५७,७९०; अनुओ. १५१.३०१:
उसिणजोणिय [उष्णयोनिक] उसभाणिय [वृषभानीक] इंट
योनि टा. ४३८:
भग. १३७,३४५; पन्न. ३५७; उसभाणियाधिपति वृषभानिकाधिपति भेट
| उसिणभूत [उष्णीभूत] २म रायस વિશેષનો સ્વામી
जीवा. १०५;
उसिणभूय [उष्णभूत] २म रायेल ठा. ४३८:
जीवा. १०५; उसभाणियाहिवति [वृषभानिकाधिपति] हुमो
उसिणवियड [उष्णविकट] 6tणेसुंए
दसा. ५३; ठा. ४३८: उसभासन [ऋषभासन] नामा२मुंभासन
उसिणवेदणा [उष्णवेदना) 6ए। वेहन।
जीवा. १०५: जीवा. १६५;
उसिणवेदणिज्ज [उष्णवेदनीय] 6ए।वेहनीय उसर [उष्ट्र] ॐ
जीवा. १०५; महानि. ८४४: उसह [ऋषभ] सो ‘उसभ
उसिणवेयणा [उष्णवेदना] 6एवेन
| ठा. १७६: जंबू. ४३,४६.१२९:
। उसिणोदग [उष्णोदक] २१२म पाए। Jain Education International For Private & Personal Use Only
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