Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 514
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૫૧૩ महाप. १३, १६, ४४, ४९, ९०, १०३, યારમાસનો દીક્ષા પર્યાય निसी. २७; दस. ५३४: उव. १४; उत्त. ४०९; अनुओ. १३५: | एक्कारसवासपरियाय [एकादशवर्षपर्याय] मनियार एक्कंगसरीर [एकाङ्गशरीर] अ शरी२ વર્ષનો દીક્ષા પર્યાય महानि. ८४२. . वव. २७५: एक्कग [एकक मेलविरी साधु एक्कारसि एकादशी] मनियारस भग. ७८६, ८०५; जंबू. ३०८; गणि. ६८; एक्वजम्मिया [एकजन्मिका] तte °४न्भेद एक्कारसी [एकादशी] मनियारस महानि. ४०८; जंबू. २९९; व. २४९: एक्कड [इक्कट] वनस्पति एक्कासन [एगासन] सशु, त५ पन्न. ६५; महानि. १३८२; एक्कतर [एकतर अनेमाथी एक्कासनय [एगासनक] ठुमओ ७५२' अंत. १६; जीय ५६; एक्कमेक्क (एकैक] - , प्रत्येक एक्कासनिय [एगासनिक] मे भासने पेसनार, पण्हा. २०; जंबू. २१२, એકાસણુ-તપ કરેલ एक्कय [एकका विहारी साधु पण्हा. ३४: ठा. ३१६; दस. १७१: एकिक्क [एक्कैक]-सेप्रत्येक उत्त. १४४९; गणि. ९; अनुओ. ७१: एकरस [एकरसमेऽ२स एक्किक्किय [एक्कैक] हुआओ. ७५२' नाया. १५७; राय. २४; सूर. १६७; एक्कविह [एकविधा से अरे एकेक एकैक] हुमो ७५२' सम. २१९; भग. ४२०: ठा. १०५: नाया. ५७: विवा. ११: भग. ३०१,३८३, ४०९.४५३,४५५,४८२. एकसरग [एकसरक] मे ४ तिवाणु, देहि ५३८,५८०, ७२२,७८६,८४२; પેટાવિભાગરહિત अंत. ५४; सूर. ३९. १६३थी १६८: विवा. ४६; जंबू. ३४५, ३४६: महाप. ४०: एक्कसिद्ध [एकसिद्धी सिद्ध भत्त. १४६; अनुओ. ६८: छा. ८२: एकेक्कय [एकैकको ७५२' एक्काइ [एकादिमे वगैरे भग. ७८६; विवा. ७.९; एक्कोत्तरिय [एकोत्तरीक मे से वधतुं एक्कारसंगवि [एकादशाङ्गवित्] अगियार अंगने | ___ अंत. ५९ જાણનાર एक्कोदक [एकोदक ठुमो ‘एकोदक' नाया. ३८३, ७२८, ७६१; जीवा. २२३ एक्कारसंगि [एकादशाङ्गिन] मनियार अंगधार || एक्कोदग [एकोदकाओ ‘एकोदक' सम. ५३: जीवा. २२३: एक्कारसमासपरियाय [एकादशमासपर्याय] - || एगइय [एकक] ओ ओ 11337 Jain Ledeerd International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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