Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 517
________________ ૫૧૬ आगमसद्दकोसो एगगुण [एकगुण] गए, ए[-4 महिने || एगच्छत्त [एकछत्र छत्र આશ્રિને એકગુણ હોય તે उत्त. ६०१; सम. २२८: एगछत्त [एकछत्र मे छत्र भग..२५७,२६२,६२०,८८७,८८८: पण्हा. १९.२१.२४: जीवा. १४: एगजंबूय [एकजम्बूक से नाम थैत्य पन्न. २९६,३२४,३९१,५५२,५५५ भग. ६७१,६७३,६७४: नंदी. १५० अनुओ. १५१; एगजडि [एकजटिन्] मे महाड एगग्ग [एकाग्रमेय, वित्त स्थिरता ठा. ९४: सूर. १९८; राय. १२; जंबू..२२७: एग्गजम्म [एकजन्मन्] मे ४-५ उत्त. ११५२,१२४७,१४४४; महानि. ११२: एगग्गचित्त एकाग्रचित मेययित्त एगजात [एकजात सु, नि:सय दस. ४७६: उत्त. ११४३.११६६ः पण्हा. ४५; एगग्गमण [एकाग्रमनस्] अमन । एगजाय एकजातठुमो. ९५२ उत्त. ११८९,१४४४; सूय. ६७० नाया. ६५, १६२: एगग्गमणसन्निवेसणया [एकाग्रमनः सन्निवेशन] || उव. १७: राय. ८४ મનને એક સ્થાને સ્થાપવું दसा. १०४; उत्त. १११३,११३८; एग्गजीव [एकजीव] से एगग्गहणगहीय [एकग्रहणगृहीत] मे श थी|| जीवा. २४; पन्न. ७८; ગ્રહણ કરેલ एगजीविय एकजीविका मे Sanj अनुओ. ३१०; जीवा. २४; पन्न. ७८: एगचक्रवुविणिहय [एकचक्षुर्विनिहत] लेने द्रव्य || एगज्झ [एकध्या में वायताथी धारए। ચક્ષુહણાયેલ છે તે आया. ३४९: पण्हा. ८,४५; एगट्ठ [एका) में अर्थवाj ५६ एगचर [एकचर] जीवियरनार भग. १०,६१८: जीवा. २२४; आया. २९८: सूय. २५४: सूर. ३३५ अनुओ. ४८: उत्त. ५१०: एगट्ठाण [एकस्थान] भे1ि61j एगचरिया [एकचर्या मेडीवियर आव. ८६: आया. १५८, ४९७, एग्गट्ठाणग [एकस्थानक से स्थान एगचारि एकचारिन्] मेसविहारी महानि. ६०२: सूय. ५७४: एगट्ठिय [एकार्थिक समानार्थी एगचित्त एकचित्त मे वित्त टा. ९४९: भग. ३९१. उत्त. ७५०: वीर. ४२, नंदी. ११५ थी ११८: एगच्च [एकदा वत अनुओ. ३२. ४७. ६५: सूय. ६७०ः उव. ३४, ५१, एगट्ठिय [एकास्थिका गोटीवाणु एगचाओ एकस्मात्] मे वत भग. ३९७, ८२२: जीवा. २४; उव. ५१; पन्न. ३८ः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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