Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४८८
जीवा. १७९,१८०: पन्न. ५९२: | उवाचिय [उपाचित] मरे, व्यास जंबू. ४६,५६,६०,६१.६७,६९,७३,१२२; नाया. १४४: निर. २,१०; पुष्फि. ५,७: | उवाणह [उपानह] ५२२५i, हो। पुष्फ. ३; वण्हि . ३
सूय. ४५४: निसी. १०६०ः दसा. ४९.९६: उवातिकम्म [उपातिक्रम्य] 6बंधन शने, उवागच्छंत [उपागच्छत् नभां भावेस, प्रात ઓળંગીને કરેલ
आया. ४६६: निसी. १०६०;
उवातिण [उप + आ + दा यह उवागच्छित्तए [उपागन्तुम] [H S२ भाटे निसी. १०८: आया. ४९४;
उवातिणंत [उपाददत् इए। तो उवागच्छित्ता [उपागत्य] प्राशने
निसी. १०८,१०९; आया. ४१६; सूय. ७९६;
उवातिणाव [उप + आ + दापय एयवीने, भग. ६; उवा. २;
પ્રવેશ કરાવીને अंत. ५; अनुत्त. १०
निसी. ७७६; विवा. ४;
उव. ११: || उवातिणावित्ता [अतिक्रम्य] 6बंधन शने, पसार राय. ८;
जीवा. १७९: કરીને पन्न. ५९२; जंबू. २;
आया. ४१२: निर. ७;
पुष्फि . ५;
| उवातिणावेंत [उपादापयत्] धनरावे, प्रवेश पुष्फ. ३; वहि . ३;
કરાવેલ उवागच्छिता [उपागम्य नीट भावीन, प्राशन |
निसी. ७७६,७७७; नाया. ४;
उवातिणावेत्तए [अतिक्रमितुम्] धन वा भाटे उवागत [उपागत] प्रात येत
दसा. ४९; आया. ३५६: ठा. ४५५;
उवादाय [उपादाय अहए। २वाने निर. १८; पुफि. ७,८;
सूय. ४२१: पुप्फ. ३, वण्हि . ३:
उवादित्तए [उपादाय र ७२पाने उवागम्म [उपागम्य] नीट आवीने
भग. १३३: दसा. ३४; उत्त. ४४७;
उवादिय [उप + आ + दा] इए। २ उवागय [उपागत हुमो उवागत
_भग. १३३ः आया. ४४६,४४७.५१०ः
उवादीयमाण [उपादीयमान भवडे घायल सूय. ३६;
आया. ६१: नाया. ४६,५७,८१.९३.१०६,१०९.१२३.
उवाधि [उपाधि] 64धि, विशेषए। १४८,१५४.१६२.१७३,१७४.१७८;
आया. १५३: अंत. १३,२०,२७,३९,४८,५१,५४,५९:
उवाय [उपाय] 6पाय, साधन, प्रतlst२, युति, अनुत्त. ११: विवा. १,६.१३ थी १५.२२,३१,३३:
सूय. २४८:
टा. ३६०; उव. १०,११: जंबू. ४३,४४,४६: उत्त. ४१४,४९३.८५०,९६५;
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