Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४८७
સ્થાન, વસતિ
दस. ४००
उत्त. ३६३: आया. ३३५,३४७,३४९,३९२,३९८ थी || उवहाण [उपधान] हुमो ‘उवधाण' ४१०,४१६,४२२ थी ४३२,४३५,४९२. || सूय. ३७१; सम. २१५: ५०१:
पहा. ७;
विवा. ३७: ठा. २०५.४५५,४५८,४७६,६७०,९१०, उव. १८;
जंबू. १२८: ९३६:
उत्त.९२:
नंदी. १४४ थी १४९: नाया. १५२,१६५.१६७,२२०;
उवहाणपडिमा [उपधानप्रतिमा) Gधान - त५ पण्हा. ३८,४५ राय. ६१; વિશેષનો અભિગ્રહ पुप्फि. ८; पुष्फ. ३;
ठा. ८४,२६५; गच्छा. १४,७६,१०८;
उवहाणव [उपधानवत्] शाल वायनानिमित्त निसी. २१८,५७२,५७४,५७५;
નિયત થયેલતપ કરનાર बुह. १४,१५,२०.२१,२५ थी २९,५१,५४ थी।
सूय. १०३,३७९.६०६; ५८,८१,८२,१०५
ठा. २४९; वव. १४९.१५०,१८१,१८२;
उत्त. ३४१,१४०९,१४११; दसा. ४९; ओह. २१५,३०७,७९२ ।।
|| उवहाणवीरिय [उपधानवीर्य] ७५थान-५विशेष दस. ३२२: उत्त. ७६,१४४८;
માટે વપરાતી શકિત उवहड [उपहृत]वासमisua४ वहोर वो
सूय. १२२,१४०,७५७ અભિગ્રહ
उवहाणसुय [उपधानश्रुत] 'यार' सूत्रनु । ठा. १९५; वव. २४६:
અધ્યયન उपहण [उप + हन्] विनाश 5२वो, साधात
ठा.८०१
सम. १२: પહોંચાડવો
उवहार [उपहार] पक्षीश, भेट पण्हा . ७; दस.४:
पण्हा. ११; उवहणंत (उपघ्रत्] विनाश पामेल
उवहि [उपधि हुमो उपधि' पण्हा. ११;
आया. ४५६; सूय. १३७: उवहत [उपहत] विनाशीत, दूषित
ठा. २६३,४५८,९३६: आया. ८०
सम. २१,१३०,२१५: उवहम्म [उप + हन्] gमो ‘उवहण'
भग. ५४२.७०५,७४३,९६९; भत्त. १३५: आह. २८४;
पहा. ११,३५,३८,४५: उवहम्मिय (उपनत्] विनाश पामेल
पत्र. ४१४:
आउ. २०,३२; देवि. ६,११:
महाप. ३४: गच्छा . २१: उवहर [उप + ह]6पस्थित ४२वा, अपए। २खु निसी. ११७.७८६,१०९७;
ठा. ८९३: निसी. ५५०; जीय. १६,४६.५८: उवहरंत [उपहरत्] अपए। उरतो
ओह. १८९,१०९६ थी ११००; निसी. ५५०
पिंड. ३९,८३,२९३: उवहस [उप + हस्] सी 5२वी
दस. २४६,४४९,५००,५२९: . सम.७० दसा. ६०;
उत. ३३१.६९८.९४६,९५० ।। उवहिअसुद्र /उपघ्यशुद्ध] माया 43 सावध,
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