Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुतंकसहिओ)
૫૦૧
उविक्खअ [उपक्षक] उपेक्षा २२ उवेय [उपेतसंयुत, साहित गच्छा . २८:
उत्त. २३७ उविच [उपेत्य/ प्राशने
उवेह उप + ईक्ष] 6पेक्षा ४२वी, ति२२४१२ ४२वो, उत्त. ४३७:
ઉદાસીન રહેવું उवित्ता [उपेत्य प्रारीने
आया. १४७.१७६,२०५,३६३; वव. २४४:
सूय. २०५,२०९,५५२: देविं. ६; उवित्तु [उपेत्य] प्रारीने
दसा. ३४;
उत्त. ७१,७४: आया. ३९६:
| उवेह [उत् + प्र + ईक्षा , समj, निश्चय उविय [दे.Jशी, ४८६, परिमित
કરવો, કલ્પના કરવી नाया. १५.३३,१७६;
देविं. ६;
उत्त. ७४; उवीला [अवपीडाबीनने पी31644वीउवेहमाण [उपेक्षमाण] उपेक्षा तो पण्हा. १४: विवा. २९;
आया. ११३,१५३,१६७,१७६,५४४; उवीलेमाण [अवपीडयत्पीने पी1 64तो || उवेहलिय [दे. अनंताय विशेष नाया. २०९:
भग. ८३२; उवे [उप + ईनाj,स्वी १२वो, प्रान || उवेहा [उपेक्षा ति२२७२, अनार કરવું
___ आया. १७६ः सूय. ६४४: आया.८०.९९,१४७.५४१;
उवेहाए [उत्प्रेक्ष्य एने, समलने सूय. १२६.३०४.३०८; ठा. ३३६; ___ आया. १२६; सम. २२३:
भग. ५८६,६२७; | उवेहेमाण [उपेक्षमाण] पेक्षा तो नाया. १७६: पण्हा. १५;
ठा. ५२०
भग. १६०,५०६: विवा. ३३:
उव.३४,५० उव्वट्ट [उद् + वृत्त] मो ‘उवट्ट' जीवा. १८५: पन्न. ४११;
भग. ८०,४५२; जंबू. ३६,९० पुष्फि. ८;
पन्न. ३३१,३३३,४५९; पुष्फि . ८: दस. २९३.५०५:
गच्छा. ११४; निसी. ५,३९८: उत्त. १११.१२३,३९२:
उव्वट्ट [उद् + वर्तय] 'उव्वट्ट' नुं प्रेर अनुओ. २६२,३१७:
विवा. ३३; . उवेत [उपयत्] समीप भावतो
उव्वट्ट [उवृत्तो आतिमाथीपी तिमixy दस. ५२३:
તે, કર્મ સ્થિતિ દીર્ઘ કરવી તે उवेक्ख [उप + ईक्ष] 6पेक्षा ४२वी
आया. ४०१.४२९: नाया. १६४: महानि. ५२३:
भग. ८०:
पन्न. ४९६: उवेक्षण [उपेक्षण] पेक्षा, अनार
उव्यदृतग [उद्वर्तमानक] में गतिमाथी बी महानि. ३३८:
ગતિમાં જતો, કર્મસ્થિતિ દીર્ઘકરતો उच्च [उपेत्य]'उविच्च
भग. ५६७: सूय. ५९६:
उव्वट्टण [उद्धर्तन] Gटुं भईन ४२ ते, ५७j उवेत्ता. [उपेत्य मो उविच्च'
ફેરવવું તે नाया. १७६:
नाया. १४७: पन्न.३२६:
।
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