Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४७७
पुष्फि. १;
उवओगपय [उपयोगपद] पनवाए।' सूत्र-२ | उवकारण [उपकारण] 645२२योते પદ
पण्हा. ३८; . भग. ६८२:
उवकारियलयण [उपकारिकालयन] प्रासाद उवओगपरिणाम [उपयोगपरिणाम 94॥५२- | આદિની પીઠિકા સામનો એક પ્રકાર
राय. ३४: पन्न. ४०६: .
उवकुल [उपकुल] इस नक्षत्रनी पासेना नक्षत्रो उवओगलक्खण [उपयोगलक्षण] questयर्नु सूर. ४७,४९, चंद. ५१,५३: ઉપયોગલક્ષણ.
जंबू. ३३०,३३१; भग. १४४:
उवक्कम [उपक्रम] ४२ २३स वस्तुने प्रतिपाइन उवओगाय [उपयोगात्मन्]6५यो॥३५मात्मा શૈલીથી નજીક લાવીને નિક્ષેપ યોગ્ય કરવી, भग. ५६०;
અનુયોગશબ્દવિવેચનનું પ્રથમ દ્વાર, આયુષ્યનું उवंग [उपाङ्ग] शरीरन। भुण्य अवयवना पेट तुं2g,बंधनोभारंभ, पाय, उगवते. અવયવ, ઉપાંગ, અંગસૂત્ર ઉપરથી બનેલ સૂત્ર आया. २४५, सूय. १५६,४२५; भ"64415' मा
ठा. २०१,३१५; सम. २२१; निर. ४,५; कप्प. १;
आउ. ८,१६: पुण्फ. १,३
अनुओ. ६९ थी ८०,३२२; वण्हि . १,३,४;
उवक्कम [उप + क्रम 3maj, busj, मावो , उर्वजण [उपाजनीना पैजाने यी ए. पहा || प्रासयुं, सभी५मा दाg, n, संस्कार લગાડવોતે
કરવો, અનુસરણ કરવું सूय. ६४७,६६५: भग. ३३८;
अनुओ. ७७: पण्हा. ३५:
| उवक्कमकाल /उपक्रमकाल] 68वानोसमय उवकप्प [उप + कल्पय] निपqj, तैयार ४२ || ओह. १,२; सूय. ५१५:
उवक्कमण [उपक्रमण] 6434 ४२वो, विशेषता उवकर [उप + कृ]645२४२वो, राध, तिखं || वी आया. ३८४.४८६:
अनुओ. ७८; उवकरण [उपकरण] ७५४२९, वखमा परिराय || उवक्कमिय [औपक्रमिक] 64म संबधि ठा. २६८; पण्हा. ७,१६.२२,३८: || सूय. १५९; सम. २४८; उव. १९:
गणि. ३८ः उवक्कमिया [औपक्रमिकी/रोults st२४थी थती उवकरणत [उपकरणत्व] 645२९५j
પીડા जीवा. ३२२:
ठा. १००,३४७: भग. २७: उवकरेत्ता [उपकृत्य] 6५४।२रीने
उवक्कर [उप + कृ] 6451२४२वो आया. ४८६
उवा. १४; उवकस [उप + कष्] प्रात थj
| उवक्केस [उपक्लेश माध, शो सूय. २६६:
भग. ९६५; उवकसंत [उपकषत्] I खुते
उवक्खड [उपस्कृत संधवानी सामग्री, ५अवेद्यं, दसा. ६५;
રસોઇ
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