Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४८७
उवा. ९:
भग. ६४५: उवभोगपरिभोगपरिमाण [उवभोगपरिभोगपरिमाण] | | उवया [उप + या] नभ मावj
શ્રાવકના બારવ્રતમાંનું એક ઉત્તરગુણરૂપ વ્રત सूय. २७३; भग. ३४२, उव. ४०
उवयाइत [औपयाचितक] सभ्यर्थित, प्रार्थित, उवभोगपरिभोगातिरित्त [उपभोगपरिभोगातिरिक्त पूर्ति भाटे वाराधना सं८५ શ્રાવકના સાતમા વ્રતનો એક અતિચાર
ठा. ९८२; उवा. ९;
उवयार [उपचार] els व्यवहार उवभोगलद्धि [उपभोगलब्धि] 64भोग वस्तुनी || ओह. ७४०; પ્રાપ્તિ કે ઋદ્ધિ
| उवयार [उपचार] पूल सामग्री, अर्यभानो अनुओ. १६१;
१२९मां नो मारो५, समुह, लो, उवमा [उपमा] 641, सामएकी, दृष्टांत, ચિકિત્સા ધારણા, માન્યતા, સાય
भग.४५४,४६४,५१२,५१८,५२२,५४९ आया. १८४; सूय. ५९०,७५६; नाया. ११,१२,१५,१८,२५,३३,४३,५७, ठा. १०५,९७५; सम. २९५;
१७०;
पण्हा . ३६; भग. ४६४; नाया. ३२,४६;
विवा. ११
उव. २,७,२९ उवा. २१: अंत. १३:
राय. १०.१५,२३,४२,४४,४९,८४; पण्हा. १५,१६, विवा. ३१:
जीवा. १७५,१७९,१८५ उव. ५,१४,७१,
पन्न. २०५,२१७; सूर. १९७; राय. २९,६६ थी ६८ः
जंबू. ३२,३४,४३,५६,६०,७७,१०१, जीवा. ११६,१५४; पन्न. २५१;
१६६,२१७,२४८,३१६; जंबू. ६६,७३,९६; पुप्फि . ८ .
देविं. ११: दस. ४५२: गच्छा. ७०; देविं. २०४,२९७:
__ अनुओ. २२३: ओह. २४३,२४४:
उवयारपर उपचारपद]6पयार५६ दस. ४२०,४२२,५१७:
भत्त. ११८ उत्त. १२४,१९३.२८१,४८८.५८७.६२५, | उवयारियालयण [उपकारिकालयन] सूमिना ७१५,१२६६,१५३०,
વનખંડનું એક ભવન अनुओ. ३१६:
राय. ३४: जंबू. १४३: उवमा [दे. पाय पहा विशेष
उवयारियालेण[उपकारिकालयन]हुमो ७५२' जीवा. १८५:
राय. ३४: उवमा [उप + मा] ७५योगथी भा५j उवयोग [उपयोग] शुभो ‘उवओग' अनुओ. ३१३:
भग. ५७७.७५७: उवमान (उपमान) दृष्टांत, प्रभाए। विशेष उवयोगट्ठया [उपयोगार्थता] ७५योनी अपेक्षा दसा. ५३:
भग. ७५७: उवमानिय [उपमानित] ७५मा अपाये उवयोगलक्खण [उपयोगलक्षण] वर्नुलक्षए। - दसा. ५३:
6पयोग' उवमिय [उपमित] 6५मायुत, रेनुं प्रभाए। || भग. ५७७: ઉપમાથી જ માપી શકાય તે
|| उवर [उपर] ७५२नु
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