Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४८3
सम. २५२:
उववेत [उपपेत) युति, सहित उववायसत [उपपातशत] 64पातशत
जीवा. १८५,२९१ थी २९३ः भग. १०६८
पन्न. ४६५; उववायसभा [उपपातसभा) हेवने उत्पन्न वानी || उववेय [उपपेत युति, सहित સભા
सूय. ३६०.६५७,७७०.७८८: भग. १५६,१५८,१६२,१७२,६७६,७२७; ठा. ८७२; नाया. १४७,२२०;
सम. २६७,३०३,३०७,३११,३२७; राय. ४०,४२,४४,८१;
भग. ११२,४६४,४६५,५१८,५२०,५२२, जीवा. १७८ थी १८०; जंबु. १४३;
५८७ पुष्फि. ७,८: पुप्फ. ३;
नाया. १०,११,२८,३२,४३,५७,६१,६३, उववायसय [उपपातशत] ७५पातशत
६४,६६,८५,८६,९१,१४४; भग. १०१७;
उवा. ५,११,४५; अंत. १०; उववास [उपवास] 64वास, ये हिवस माटे पण्हा. १९,२०, विवा. ११,१२;
उव. १,७,५०ः વિધિપૂર્વક અન્નજળનો ત્યાગ सूय. ६७१,७९४; जंबू. ४९;
राय. २३,३१,४९ थी ५१.८२:
जीवा. १६४,१८५: पन्न. ४६५: उवविणिग्गय [उपविनिर्गत सतत निर्गत
जंबू. ३४,३५; वण्हि . ३; जीवा. १६४;
दस. ४१७; उवविहित [उपविहित] प्रहानपुं
उत्त. १३,३७२,४१६ थी ४१९,४२६,७६३; देविं. ३०७:
नंदी. १३७; अनुओ. २६०ः उवविस [उप + विश] मेस
उवसंकम [उप + सं + क्रम] पासे ४q राय. ६५;
आया. ३५९; सूय. ८०३; उववीयमाण [उपवीजयत्] पवन नतो , यामर
ठा. १७९:
सूर. २३; વિંઝતો
चंद. २७;
दस. १८८: नाया. १७०
| उवसंकमंत [उपसङ्क्रामत्] पासे तो उववूह [उपबृंहण] भो ‘उवबूहण'
आया. ३१२; उत्त. १९०६:
| उवसंकमित्ता [उपसङ्क्रम्य पासे ४४ने उववूहण [उपबृंहण] ४ो ७५२'
ठा. १७९;
सम. १०१: पण्हा. ४५:
नाया. ५१;
सूर. १९,२१: उववूहणिय [उपबृंहणीय] पुष्टीsता, ५४ विशेष,
चंद. २३.२४: जंबू. २५६.२५७: પ્રશંસા કરનાર
उवसंकमित्तु [उपसङ्क्रम्य] पासे ४७ने निसी. ५९०:
आया. २१५,३४९: उववूहाईण [उपबृंहणीय हुमो 6५२'
उवसंकमेंत [उपसङ्क्रामत्] पासे तो जीय. २९
दस. १८५; उववूहित [उपबृहित] iसित, वृद्धिने प्रथम,
| उवसंखडिजमाण [उपसंस्क्रियमाण] रांधेस, પુષ્ટ
પકાવેલ गच्छा. ३४:
आया. ३५७; Jain Education International For Private & Personal Use Only
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