Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४८८
आगमसद्दकोसो
महानि. ४००
भग. १४०;
उव. ५; उवरइ [उपरति] विराम, निवृत्ति
राय. १५
जीवा. ४९५: . सम. ५५;
उवरिचर [उपरिचर] शमा ३२नार उवरक्खिय [उपरक्षित] २१९।२॥येत
पण्हा. २३: जीवा. १०५: पन्न. २०५.२१७
उवरितल [उपरितल] १५२नुतणीयं उवरत [उपरत] पापथी निवृत्ति पामेल, वैरभाव जंबू. १४७,१४८,१९४; देविं. ८४; રહિત
उवरिपुंछणी [उपरिपुञ्छिनी] साहीनी छत ५२नुं आया. ११३: सूय. ६४७,६६५; તરણાનું આચ્છાદન उवरम [उपरम निवृत्ति, अभाव
राय. २७: भग. ८६:
उवरिम/उपरितन] 6५२नु, ७५सुं उवरम [उप + रम्] निवर्त, 25
ठा. ८०,२४६,९०९; सम. २४४; भग. ८६: नाया. २०८:
भग. ३२,७६,३१४,३९५,४३६,४५३, उवरय [उपरत तुमओ उवरत
५५९.५६०,५७३,५८२,६८३,७४३,९५२;
नाया. ६५: आया. ४०,११०,११२,१२०,१३४,१३८,
जीवा. ९३,१६९,१७१.१७३; १३९.१५२,१५३,१५९,१७३,१९७, ३८३.४०५,४१६.५४९:
पन्न. १९९,२३३;
देविं. १८२,१९०,२१३: सम.६१
भग. ४३०; नाया. ३७ः
नंदी. ८४: उत्त. १५२६;
| उवरिमउवरिम [उपरितनउपरितन] वव. ४८,५०,५२,५३,५५,५७; दस. ३६२: उत्त. १६७;
टा. २४६,८४४; उवरयभत्तुया [उपरतभर्तृका] स्वामी 3 पतिथी
__ भग. ३८३,८५७; उत्त. १६७८; અલગ થયેલ
उवरिमउवरिमगेवेजग [उपरितनोपरितनग्रैवेयक] नाया. १११;
રૈવેયકના નવ વિમાનમાં સૌથી ઉપરનું વિમાન उवराग [उपराग] ।
पन्न. १९१,३०६,३५३,५५५; पण्हा. ११:
उवरिमउवरिमगेवेञ्जय [उपरितनोपरितनगवेयक उवरि [उपरि] ७५२, ये
જુઓ ઉપર नाया. ९२: राय. २७:
सम. ९९,१०१; अनुओ. १५०; जीवा. १६३:
उवरिमगेविज [उपरितनौवेय] नव ग्रैवेयना पन्न. १९६,२०५,२१७,२१८.२२१.४०४: ઉપરના ત્રણ વિમાન जंबू. १४,१५८,१९४:
जीवा. ६४: तंदू. ११: देविं९०.२१२.२७९: | उवरिमगेवेज [उपरितनग्रेवेय] ४मो ७५२' निसी. ११०
जीवा. ७० अनुओ. २९९:
उवरिमगेवेजग [उपरितनग्रेवेयक] मी '७५२' उवरिउवरि [उपर्युपरि १५२-७५२
जीवा. ३१४: नाया. १८;
पन्न. २३२,२९७.३३०.५०७,५८१: उवरिं [उपरि ७५२, Gथे
उवरिमगेवेजय [उपरिततनगैवेयक हुमो ७५२' ठा. ३२१: सम. १११:
पन्न. ५०७;
उत्त. १५२१:
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