Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
View full book text
________________
(सुत्तंकसहिओ)
४८८
उवरिमतल [उपरितनतल] ७५२नुतणीयं ॥ - आभी अवेय नंदी. ८२:
उत्त. १३७७; उवरिममज्झिम [उपरितनमध्यम] ७५२-- मध्यन || उवरिमाहेट्ठिमा [उपरिमाअधस्तना]७५२मां नीथेनुं (मध्यप्रैवय)
___- सातभी अवेयर टा. २४६,८४४: पन्न. ५५५:
उत्त. १३७७; उत्त. १६७७; अनुओ. १५०; उवरिल्ल [उपरितन] 6५२र्नु उवरिममज्झिमगेवेजग [उपरितनमध्यमग्रैवेयक] टा. ४१७,८०९; નવમાંના મધ્યના ત્રણ ગ્રેવેયક વિમાન
सम. १३,२५,१६१,१६३,१६६,१६९, पन्न. १९१,३०६,३५३:
१७७,१७८,१८८,१८९,१९१,१९५,१९९; उपरिममज्झिमगेवेजय [उपरितनमध्यमग्रैवेयक] || भग. ७५,५६०,६४८,६८३.६८४,८२३, हुमओ ७५२'
९४७,९९९; सम. ६३.९९;
नाया. १०३; उव. ५५; उवरिमय [उपरितन] ७५२नु
जीवा. ९३,१९१,२०२,३१२ थी ३१४; भग. ६०: देविं. २३८;
पन्न. २३५,३२४,३२५,४४१,५२९,५३०ः उवरिमसुय [उपरितनश्रुत] ७५२- श्रुत
सूर. ११७; चंद. १२१; निसी. १३४८;
जंबू. ४६,२०१,३३९,३४०;
देविं. ७३,१८०,१८७.२७३; उवरिमहेट्ठिम [उपरितनअधस्तन] ७५२नु-नीथेन, |
अनुओ. २७५; ઉપલી ત્રિકમાં સૌથી નીચેનું
उवरिल्लगेवेज [उपरितनग्रैवेयक] 6५२नी १९॥ ठा. २४६,८४४: उत्त. १६७७;
રૈવેયક अनुओ. १५०;
देविं. २३७; उवरिमहेट्ठिमगेवेजग (उपरितनअधस्तनौवेयक) न રૈવેયકમાં સૌથી ઉપરના ત્રણમાનું નીચેનું એટલે
उवरिल्लय [उपरितन] ७५२नु કે સાતમું
पत्र. ५७१: पन्न. १९१,३०६,३५३:
उवरिसिजमाण [उद्देष्यमान] १२साथी मातुं उवरिमहेट्ठिमगेवेजय [उपरितनअधस्तनौवेयक] |
निसी. १११: हुमो 6५२'
उवरुद्द [उपरोद्र] ५२माधानी असुर हेक्तानी में
જાત सम. ६२,६३: उवरिमहेट्ठिल्ल [उपरितनअधस्तन] ७५दी त्रिभा सम. ३३
मग. १९६: સૌથી નીચેનું
उवरुवरि [उपर्युपरि] 6५२ - 6५२ भग. ३९५:
आया. ४५३: पण्हा. १५: उवरिमा [उपरिमा] ७५२नी त्रि
निसी. १२७५: उत्त. १३७८:
उवरोह [उपरोध]६:५, माधा, माह, मटाव, उवरिमाउवरिमा [उपरिमउपरिम] ७५२नी सौथी
રોકાણ પહેલી – નવમી રૈવેયક
नाया. १४१: पण्हा. ३६:
उवल [उपल] पत्थर उत्त. १३७८:
पन्न. २५: उवरिमामज्झिमा/उपरिमामध्यमा ७५२मांमध्यन| भग. २२१:
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546