Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४८५
सूय. ५३१:
उवा. ४२,४६; विवा. ३३; उवधाणवीरिय [उपधानवीय] 6धान तपसंधि राय. ५७,५९,७७; बुह. ३८: શક્તિ
दसा. ४; सूय. ५३१:
उवनिमंतित्तए [उपनिमन्त्रयितुम्] निमंत्रए। ४२१॥ उवधारणया [उपधारणता अर्थावान नाम | માટે ठा. ७८६: नंदी. ११५;
उवा. ४३ उवधारिय [उपधारित धा२९।४२८५
उवनिमंतेता [उपनिमन्त्र्य निमंत्रएशने सूय. ८०६; भग. ९८;
आया. ५१०; भग. ५३१: उवधि/उपधि/वस्त्र - ३५५धि, ७५४२९५, || नाया. १४८; विवा. ३३; સામગ્રી, માયા
उवनिविट्ठ [उपनिविष्ट] समीपे २३ ठा. १४६:
राय. २९; जीवा. १६५: उवनगरग्गाम [उपनगरयामानानी नअनुम: || उवनिहिय [औपनिधिक] भानुपूर्वी - अनुमनो ગામ
એક પ્રકાર उव. १०.११;
पण्हा. ३४; उवनचिजमाण [उपनृत्यमाननायतो उवनी [उप + नी] हुमो उवनि भग. ५२१: नाया. १७०;
सूय. ५९०,६६४; राय. ५२.५८,७५,८३;
नाया. २५,३३,५१,८८,१४४,१७६; उवनम [उप + नम्] नभ-२ ४२वो
उवा. ५१;
अंत. १०; सूय. ८९; भग. १७२;
विवा. २०,२२,३२; उव. ५०; पण्हा. १९:
राय. ४३,५२,८३, जीवा. १८० उवनयन [उपनयन] या पासे ने 5
जंबू. ६७,७३ थी ७६,९०,९६,१०३,१०४, શીખવવી તે
२४३;
निर. १०
दसा. १०३: उत्त. ४३२: भग. ५२१: पण्हा. ११: उवनि [उव + नि] 6पस्थित ४२, 19swieuag, |
उवनीत [उपनीतJIसेना, प्रथये, पक्षीस
सापेस, समए ६२८, प्रशंसा, संयुत, અર્પણ કરવું
પ્રસ્તાવના, યોજના કરેલ भत्त. ५० उवनिक्खित्त [उपनिक्षिप्तमुडेस
आया. २०९; सूय. ३१७:
ठा. ६३७,९४९: जीवा. २९४: आया. ३७१.३९६: बुह. ५४,५५; उवनिक्खिवियव्य [उपनिक्षेप्तव्य] भुवायोग्य
उवनीय [उपनीतामओ 6५२'
आया. ६१,११२,१९३,२०९,५२१: बुह. १३४:
सूय. ३११,३१७,३२०,३३९; उवनिग्गय [उपनिर्गत पावेल
भग. २४५,५२२, उव. ३,४: उत्त. ५६०:
नाया. १४८,१७८; पण्हा. १६.३४; उवनिमंत [उप + नि + मन्त्रय निमंत्रए। ७२j,
विवा. ३३:
राय. ६१.६२: નોતરું દેવું
दस. ५२१; उत्त. ११६,१२४.४२७: ठा. ७०२: सम. १०९.३९२:
अनुओ. १९८: भग. ४०६,५३१; नाया. २०,१५३: || उखनीयअवनीयचरय उपनीतापनीतचरक] गौयरी
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