Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४८२
आगमसद्दकोसो
અગ્નિહોત્રી
| अ.नंदी. १; उत्त. ३७७;
उबज्झायत्त [उपाध्यायत्व] 6पाध्याय५j, उवज [उप + पद्] Gत्पन थj
ઉપાધ્યાયસ્વરૂપ सूय. ७५;
ठा. १८०
बुह. १२७,१३०; उवज्जिय [उपार्जित] 60ठन २८१
वव. ६८ थी ७२,७४.७५.७८,८१,८२, जंबू. १७१,१८४:
८६,८७; उवज्जोइ [उप + ज्योतिष/मो उवजोइ उवज्झायपडिणी [उपाघ्यायप्रत्यनीक] 60सूय. २७२:
ધ્યાયનો શત્રુ उवज्झाइया [उपाघ्यायी] भावनारी
भग. ४६९, ६५३: वव. ७७;
| उवज्झायविप्पडिवत्ति [उपाघ्यायविप्रतिवति] उवज्झाय [उपाध्याय] 6पाध्याय, शास्त्रनुअध्ययन ઉપાધ્યાય પ્રતિજ્ઞા ભંગ કરાવનાર, જેની નજીક જઇ ભણાયતે, વિશેષ|| __टा. ९७५; उरीने निमवयन- स्म२९॥ ४२ता होवाथी || उवज्झायवेयावच्च [उपाघ्यायवैयावृत्त्य] 640જેમનીનીટતાશ્રુતનો લાભ અપાવનારી થાય તે ધ્યાયની સેવા કરવી आया. ३९०,३९१,४४१,४६१,४६२, उव. २०: ४९७
उवट्ट [उद् + वृत्त यालg, भर, मे गतिमाथी ठा. १९०,१९१,२२२,३४५,३८१,४३१, બીજીગતિમાં જન્મ લેવો, શરીરનો મેલ દૂરકરવો, ४३३,४५१,४६४,४७६,४७७,५४९. ઉત્પન્ન થવું ५९५,६७०,७०२,८००,८९३,८९९; आया. ३६०; जंबू. २३९; सम.८८,८९
उवट्टणा [उद्धर्तना] वर्तनऽते, भ२९५, भनी भग. १,२५१,४१२,४६९,५३६,६५३, | સ્થિતિ દીર્ઘકરતું કરણ ६५९,९६५,९६६;
भग. ७८० नाया. ५२,५४,६०,६१,६२,७५,१३५, || उवट्टिऊण [उद्धर्तीतुम] द्वर्तन २वा माटे १४० थी १४२.१५७,१८५, १८६,२११, | महानि. १२३५: २१२,२१७,२१८:
उवट्टित्ता [उद्धृत्य] द्वर्तन रीने पहा. ३८ः उव. २०,५१;
उत्त. २२३, पन्न. ४४१:
उवठूत्ता [उवृत्या मी ७५२' चउ. ३२,५६, भत. ४८:
जंबू. २२६: संथा. १०२;
उवट्ठ उप + ष्ठा] उपस्थित रहे निसी. २१६,१०९६.१३५७:
अनुओ. २२: बुह. ९१,१२५ ा १३३.१३५,१३६ः वव. २५,३३,७५ थी ७७,८१,८२,८६,
उवट्ठव उप + स्थापय] सो 64२' ८७,९०.९३ थी ९६,९९,१००,१०३,
सूय. ६४३.६६४:
भग. ४६०.४६३: १०४,१०७ थी १११.१२२.१२५.१२६,
नाया. ३०.३३.१४४: उवा. ११: १४९,१६४,२८५:
अंत. १३:
राय.४२.६२: दसा. ७८,७९ आव. १,२०
जीवा. १७९: दस. ४४३:
उत्त. ५४२,५४३: ।
चंद. २
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