Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 482
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४८१ કરવી તે उवधायनिस्सिया [उपघातनिश्रिता] असत्यनो || उवचिण्ण [उपचिण) वृद्धि रेख દશમો ભેદ महाप. १२५; पन्न. ३८४; उवचित [उपचित]पुष्ट थयेट, वृद्धि पामेल, 4 उवघायवस [उपघातवश] ७५धात वश પ્રદેશથી વ્યાપ્ત, સ્થાપેલ, સહિત, સંભારેલ तंदु. ५; जीवा. १६१; पन्न. २००५.२१9; उवचय [उपचय] पुष्टि, धारी, छन्द्रिय योग्य || उवचिय [उपचित]ओ 3५२' પુદ્ગલનો સંગ્રહ કરી ઈન્દ્રિય પર્યાપ્તિ પુરી || आया. ४७२; . सूय. ६४५,६६५; भग. १४, १५,१७,३५,३६,९८,११४, आया. २२१: ६५८,६८६; भग. २८१,२८२,७७९,७८५; नाया. २५,४०,४४,६२,२०८; पण्हा. २२; राय. ६६; उवा. २१; अनुत्त. १०: पन्न. ४३३,४३५: पिंड. १२२; उव. २,१०,२९; उवचय [उप + चिहुँ ४२ राय. १५,२७,३२,४२ पत्र. ३६०; जीवा. १०५,१६५,१६७,१६८,१७५,१७९, उवचर [उप + चनावाने 6५स[वो॥ १८५; કષ્ટ આપવું पन्न. २०३,५३९; जंबू. ५१,५२,५६,१२८,१२९, १७०; आय. २४७,२९४: दस. ३१६; अनुओ. ५९,३२६; उवचरग [उपचरक सेवाने माने जाने तरी || उवच्छड [उपस्तृत] ७५२-७५२ ढाई પાડવાની તક જોનાર राय.७५ सूय. ६६३: उवजा [उप + या] पासे ४ उवचरिय [उपचरक] ओ ७५२' भत्त. ७२; आया. ४०९,४४९,४५०; सूय. ६६३; उवजीव [उप + जीव] qj, निals ४२वो, उवचरिय [उपचरित] ७५यार ४३८५ આશ્રય લેવો सूय. ६६३; सूय. ६६४; भग. ११०,१०६८: उवचार [उपचार] पूल सामग्री वव. २११: पण्हा. १५: उवजीवंत /उपजीवतामाश्रय सेतो उवचिट्ठ [उप + ठा) सभी५४ आह. ८२४; दस. ४२५; उत्त. २०,३० उवजीवि [उपजीविन्] माछवि। यानार, उवचिण [उप + चि/वृद्धि २वी આશ્રય લેનાર ठा. १२५: सूय. ७३५.७७२; पण्हा. १६: भग. १६.२४.३५.१०२: उवजुंजिऊण [उपयुज्य] ७५योगशने पन्न. ४१७,५२२: उत्त. ११३५: भग. ३८७.८४२: जीवा. ९५; तंदु. १९.२१: उवजोइ [उप + ज्योतिष] AA पासे २३j, A उवचिण [उपचय] ७५यर्थ, वृद्धि હોમકરવો ठा. २४७,४२१,५१७.५९१.६९७.७०१. ।। ७९९,८८६,१०१०: सूय. ३१२ ।। उवजोइय [उपज्योतिष्क] PALA पासे रहेन।, J1 31. ation International For Private & Personal Use Only ____www.jainelibrary.org

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