Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 481
________________ ४८० आगमसद्दकोसो પ્રમાણોપેત – કલ્પનીય વસ્ત્રો લેવા ज्वग्गच्छाया [उपाग्रछाया] सभी५छाया टा. ९६५: सूर. ४१: चंद. ४५: उवगरणहर [उपकरणहर] 6५४२९।४२नार उवग्गह [उपग्रह] 64धि - 3थी नव वते, ओह. ३५: અવલંભ, ટેકો, આજ્ઞા उवगसंत [उपकर्षत सभी५ मावते ठा. ४७७.५११: सम. ७५: भग. २४७.६९६ पहा. ३८: उवगसित्ताणं [उपकर्ण्य सभी५ लावीने गच्छा. १५: गणि. ३२.४१ सूय. २५३: वव. ६८ थी ७३: उवगाइजमाण [उपगीयमान] वातुं ओह. ६४८,१००६.१००७.१०११: राय. ५२,५८,८३; | उवग्गहिय [औपग्रहिक] ५२०४२वा योग्य वस्तु उवगारियलेण [उपकारिकालयन] प्रासाहपी6 ઉપકરણ भग. ५८६; पन्न. ५३७ उवगारियालयण [उपकारिकालयन) प्रासपी5 | उवग्याय [उपोद्घात] प्रस्तावना राय. ३३; जीवा. १७४: अनुओ. ३३७: उवगिजमाण [उपगीयमान गातो. उवग्यायनित्ति [उपोद्घातनियुक्ति प्रारंभइथन भग. ४६३: नाया. २८.१७०; જણાવતી નિર્યુકિત विवा. ३३.३७: राय. ७५: अनुओ. ३३७; जंबू. ७६,१२१.१२२: वण्हि. ३: | उवघाइ [उपघातिन] धात २नार उवगिण्ह [उप + ग्रह] A उत्त. ४० - भग. २२८: उवघाइणी [उपघातिनी] Gधात ४२नारी उवग्णिहमाण [उपगृण्हान] अहए। तो दस. ३०४.३२२,३४७; भग. २५१% उवघाइय [उपघातिक न॥४२॥२, प्रायश्चितनो उवगीयमान [उपगीयमान तो એક ભેદ विवा. ३३: पन्न. ३८५: उवगुव [उव + गुप्] प्रात उवघात [उपघात विराधना, माघात, अशुद्धता, गणि. १४: વિનાશ, ઉપદ્રવ उवगूढ [उपगूढ]संस्पृष्ट, मस, युत, छुपा - टा. २०८.४६३,९३५,९४१: રહેલ उवधाय [उपघात हुमो 6५२' नाया. ८७.२०९: विवा. १८: सूय. ४५१: पण्हा. ८; राय. २३.३१: जीवा. १६४; उवघायकम्मग [उपघातकर्मक] पीनोधात थाय उवगूहिजमाण [उपगृह्यमान] आलिंगन रातुं તેવી ક્રિયા राय. ८३: सूय. ४५१: उवगूहिय [उपगूढ आलिंगन रेस उवधायनाम [उपघातनामन] नाम भनी । नाया. १३४: પ્રકૃત્તિ વિશેષ उवग्ग [उपाग्र] सभी५मi, 193 सम. ५५.६२,११८: महाप. १०२: पन्न. ५४०.५४१: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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