Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૫૦
आगमसद्दकोसो
पन्न. २०५.२१८,२२१,४४१;
उत्ताणयछत्तसंठाण [उत्तानकछत्रसंस्थान] 6dजंबू. १३,४६.७९,८०,९६,१०१,१०४, મુખ છત્રના આકારે રહેલ १२२,१२३,१२९,१३५,१३९,१६७,१७१.|| देविं २७४,२७८: १७४,१८१,१८२.१९३,१९६,१९७.२००. उत्ताणसेज [उत्तानकशय] भुशय्या २२४,२२६.२२९,२३०,२३६.३४४: पुप्फि . ८; पुष्फि . ८;
उत्ताणिया [उत्तानिका] यत्त सुवानो अमिs, उत्तरीकरण [उत्तरीकरण] नुं मालोयन - |
ચત્તોકરાયેલ પ્રતિક્રમણ કરેલ છે તેની વધુ વિશુદ્ધિ કરવી
बुह. १६९; आव. ३९
उत्ताणोदय [उत्तानोदक]छी ll उत्तरीय [उत्तरीय/मो ‘उत्तरिय'
टा. ३८५; सूय. ६२२;
उत्ताणोभासि [उत्तानावभासिन्] तु२७ ०४९॥यते उत्तरेत्ता [उत्तीर्य) हुमो ‘उत्तरिता'
टा. ३८५ - नाया. १७८:
उत्तार [उत् + तारय]पार पहशेयj,MAR नीsong, उत्तरो? [उत्तरौष्ठ/6पलो हो
नाया. ४९; दस. ५२७; भग. ६३९; पण्हा. १९:
उत्तार [उत्तार नहीनोमिनारो, मारो जंबू. ३४;
नाया. ११०,११२,१३९; उत्तरोट्ठरोम [उत्तरौष्ठरोमन] usी - भुंछ
उत्तारण [उत्तारण] २ ते निसी. १७३,२९०,४५६,५२३,७०५,९५७
नाया. ११२ १०४३,११६३,१२१६; ।
उत्तारित्तु [उत्तारित]पा२ तारनार उत्तस [उत् + त्रस] त्रास पावो, :पी थर्बु
महानि. १७१, आया.४६१;
उत्ताल [उत्ताल] तासानुंगugते उत्ताण [उत्तान] यत्तुपाट, सीधु, छीछ, पारो |
ठा. ६३४;
अनुओ. १९४; માર્યા વિના આંખ ખુલી રાખવી, ચત્તા સુવાનો
| उत्तालिजंत [उत्ताड्यमान] 3 न २ ते, वाघ અભિગ્રહ ધરનાર, ઉર્ધ્વમુખ, વિસ્ફારિત,
વગાડવું તે અકુશળ, પસારેલ ' ठा. ३८५; पुष्फि. ८:
राय. २३; उत्ताणअ [उत्तानको ७५२'
उत्तासइत्तु [उत्त्रासयिता शतिशय त्रासमापनार.
__ आया. ६७; तंदू. २६; उत्ताणग [उत्तानक] सो ७५२'
उत्तासणग [उत्त्रासनकास भयं 6414२
पण्हा. १५ उव.१% जंबू. ८४:
पन्न. १९५,१९६:
उत्तासणय [उत्त्रासनक]४ो ७५२' निर. १० उत्त. १५२४:
ठा. ८७२: उत्ताणय [उत्तानको ७५२' आया. ३९१,४९१: भग. ८४;
भग. १७२,२९१,२९४; विवा. २९: पन्न. २३५:
नाया. ५२,८७: जीवा. ९७; निर. १०:
पन्न. १९६: वव. १४४: उत्ताणयछत्त [उत्तानकछत्र] भुपछत्र
उत्तिंग [उत्तिङ्ग] 1314३, छीद्र उव. ५५
देविं. २७४,२७८; ||
|| आया. २३५.२३९.३३५,३५६,३६०,
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