Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४६८ .
आगमसद्दकोसो
जंबू. ४.५,६,८; निर. १०ः। || उप्पीलीय [उत्पीडित हुमो ७५२' कप्प. १: वण्हि . ३:
भग. ३७२,३७३: उप्पिंजलगभूत [उत्पिजलकभूत माप व्यास नाया. ४९,१६९,१७६.२१०ः થયેલા
पण्हा. १५; विवा. १२,१३,२१,२२: आया. ५१०,५३५:
उव. ३०
राय. २३.४५,५२; उप्पिंजलभूत [उत्पिजलभूतभी 6५२' जंबू. ७६,८०.९०; निर. १८: राय. २३:
उप्पुय [उत्प्लुत] यननोभे होष, भयभीत उप्पिंजलमाण [उत्पिजलयत्] माण व्याजनी|| नाया. ११३: पाहा. १५; જેમ આચરણ કરવું તે
| उप्पुय [उत्पूर] पाएनो प्रयं प्रवाई, घj — दसा. ५३:
पण्हा. १३,१६,१९: उप्पिरयणिमुक्कमउड [उपरिरत्निमुक्तमुकुट]७५२नो || उप्फालग [कथक] नि: 5२ना२, 5टेन२ રત્નમુક્ત મુકુટ
उत्त. १४०८: बुह. १४२;
| उप्फिड [उत् + प्ल] ३७1नी भj उप्पिंसवणमाया [उपरिश्रवणमात्रा] 6५२नी उत्त. १०६३ સાંભળવાની માત્રા
| उप्फिडित्ता [उत्स्फिट्य 44 नाणेस, इंडित बुह. १४०
नाया. ९२,१७५; उप्पिच्छ (दे. अ५२ श्वासे ४८हीथी uj
उप्फिडिय [उत्फिट्य] हित थयेटर अनुओ. १९४ः
पन्न. ४४१; उप्पित्थमंथरगई [दे. श्वासयुक्त
उप्फुल्ल [उत्फुल्ल विसित भत्त. ११६:
दस. ९८ः उप्पियंत [उत्पिबत् आस्वाइन ते | उप्फेणउफेणिय [दे.धन 1-पेठे 65णेस, पण्हा. १६;
ક્રોધાયમાન થયેલ उप्पियमाण [उत्प्लवमान] पाए। 6५२७गतो विवा. ३३; - उवा. ४६;
उप्फेस [दे. भुगट, ४ उप्पिलाव [उत् + प्लावय]तरावj
उव. ३२;
पन्न. २०३: निसी. १२६८: दस. २८६:
दसा. १०१ उप्पिलावेंत [उत्प्लावयत्] तराते ..
उबुन्झमाण [अपोह्यमान] निश्चयनथव॒ते निसी. १२६८:
___ठा. ४७५; उप्पिलोदगा [उत्पीडोदका] पांधेसी
उब्बंधण/उद्बन्धनसीसी , Gये जीयो दस. ३३२:
લટકીને મરવું તે उप्पील [उत्पील] ६६ शनेबांधेल.
पण्हा. ४५: पण्हा. १५:
उब्बहिया [उद्बाह्य बंधायेत उप्पील [उत् + पीडय] ६ शने जांध
पन्न. ४४१: आया. ४५२: जीवा. २२३: उब्बाहिजमाण [उद्बाध्यमान] धायेत होते, उप्पीलिय [उत्पीडित] ६ढरीनेमांधेतु ફાંસીએ ચડી મરવું તે भग. ३७३; नाया. ४९:
आया. १७२: निसी. १९६:
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