Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४७३
उर [उरस्] छाती, वक्षस्थण, सुंदर
विवा. १० आया. १७:च ठा. ५०४,६०७,६३६; जीवा. २४,२६,२७.५५,६७.१३०.१३१: भग. ४६२.४६३; अनुत्त. १०;
पन्न. १६२,३०२,३३४,५१०.५५१,५१२, पण्हा. १५.१६: विवा. २९;
५१७: उव. ३४; राय. २०,२३ः
अनुओ. १५०; जंबू. २१४ पुष्फि .८; उरपरिसप्पी [उरःपरिर्पिणी/पेटे याला सापानी दसा. १०५; उत्त. ७४०;
सति अनुओ. १६७.१९६;
जीवा. ५३,५६: उरंउरेण [दे. छाती सरसो, साक्षात्
उरभ [उरभ्र घेटुं विवा. २२:
सूय. ६६३,७७४; नाया. १८: उरग [उरग] पेटे यानास
उवा.२१:
राय. १५: ठा. ३६४ भग. ३८९,९९८; जीवा. १६४; उत्त. १८२: नाया. १६०,१७६,१९२:
उरब्भपुडसन्निभ [उरभ्रपुटसन्निभा घेटाना न ठेवू पहा . ७,८: विवा. १०
उवा. २१; जीवा. १००: पन्न. ३३५:
उरभरुहिर [उरभ्ररुधिर] धेटा-दोही जंबू. ६२: उत्त.४८८ः
पन्न. ४६४; अनुओ. ३३४:
| उरब्भिज्ज [औरभ्रीय] धेटाने पागनार, भरवार उरगपरिसप्प [उरगपरिसपीटे यात सपनी में
આદિ, એક અધ્યયન વિશેષ જાતિ
सम. ११२; उत्त. १७९: जीवा. ६७: उत्त. १६४५;
| उरय [उरग ओ 'उरग' उरगपरिसप्पिणी [उरगपरिसर्पिणी] नाग, स्त्री
भग. ६५८; સર્પની જાતિ
उरय [उरज] मे शु७ वनस्पति जीवा. ५३:
पन्न. ४९; उरगवीहि [उरगवीथि] शुधनी में ति -विशेष
| उरस [औरस] पोतानो पुत्र ठा. ८८३:
टा. ९८२; उरत्थ [उरःस्थ] हयसाम२४। विशेष, ६६य || उरस्स [औरस्य पोताना पुत्र संबधि ઉપર રહેલ
भग. ५९८,७६४: उवा. ४६; आया. ५०६.५०८.५२०
। राय. १०,६८: जीवा. ८७: जीवा. १८५: जंबू. ७३:
उरस्सबल/उरस्यबल]यण .. उरत्थदीनारमालय [उस्थदीनारमालक] हयगें। राय. १०ः એક આભરણ વિશેષ
| उराल [दे. मयं४२, भीम दसा. ५३:
जंबू. २२८: उरपरिसप्प [उरःपरिसप] पेटे यातना२ सपनीमे उराल [उदार समर्थ, शतिवान, नत स्वभावी, જાતિ
પ્રધાન, શ્રેષ્ઠ, અદ્ભુત, વિશાળ, એક જાતનું सूय. ६८९:
શરીર, શૂળ, પ્રસિદ્ધ, પ્રધાનતપ, એક વનસ્પતિ टा. १३७. ९.२०.१००९:
आया. २७४,५१०,५११: सम. १३१: भग. ३८३.६५८: ।। सूय. ८४,४६६,४८३,६४५,६६४,६६५, Jain Education International For Private & Personal Use Only
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