Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 463
________________ ૪૬૨ आगमसद्दकोसो अनुओ. २८१,२८३,२८४; वण्हि . ३; दसा. १०१; उद्धाविय [उद्धावित]gो 'उद्धाइय' उन्नइय [उन्नतिक] नतिवाणु उवा. ३०,३३,३५,३६,४७; भग. ५९४; उव. ३; उद्धि दि. नी. जीवा. १०५,१६४,१६५,१८६,२९१,२९३; __ भग. ५७४; उन्नदिजमाण [उन्नन्द्यमानपोटावे, मावान उद्धिय [उध्धृतरेस, 6 जंबू. १३५,१३७; नाया. ४०,४१; उव. ६; उन्नत [उन्नत मानषायनो पर्याय, नत . ": राय. ४८; जंबू. १२४; ठा. २५०, . भग. ५४२; उद्धियसल्ल [उधृतशल्या भाया-निया - पण्हा . १९; राय. ३७; મિથ્યાત્વરૂપશલ્યકાઢી નાખેલ છે તે दसा. १०३; महाप. ५०; उन्नतावत्त [उन्नतावती ये यातो भावत, टोणीयो उद्धृत [उद्धृतासाये, मपित, 652, ___ठा. ४१९; વ્યકત उन्नम [उत् + नम्] यु टोj, उन्नत होवू पत्र. २२५; राय. २३; उद्धुमंत [उद्दमायमान] परिपूर, मरेस उन्नमणी [उन्नमनी] मनुनी पर्याय अ.नंदी. ३; राय. २३, उन्नमित्ता [उन्नम्य] Gया थने, उन्नतथइने उद्धृय [उद्धृत्ती 'उद्धृत' राय. २३, सम. २३८,२४१; उन्नमिय [उन्नम्य हुमो ७५२' भग. १६१,१७२,४६५,५११,५१८,५४९; नाया. १२,१५,१८,२१,२५,२७,४५,५०, _आया. ३६६; ५७,६२,१७०,१७५; । उन्नय [उन्नत मी 'उन्नय' पण्हा. १९; सम. १३० उव. २,२९,३० राय. ७,१०,१५ थी १७,२८,२९,३६,३८, भग. १६४,३५९,५१८,५४९; ४२; नाया. १२,१८,८६; पण्हा. १९; जीवा. ९८,१३३,१६७,१६८,१७५,१७९, उव. १,१०, जीवा. १७६,१८५; १८०; . सूर. १९७; चंद. २०१; पन्न. २०५,२१७; सूर. १९७; जंबू. ३४,८१,१०१,१२८,३४४; जंबू. ४६,५६,६५,६७,७३ थी ७५,७७,८४, || दस. ३४५; ९६,१०१,१०३,१२१,१३०,२१४,२१७, | | उन्नयतर [उन्नततर] वधु अभिमानयुत २२९,२४४; भग. १६४ उडुर [उद्धर] थु, प्रमण उन्नयमाण [उन्नतमान] होते जंबू. २१४,३४४; आया. १७०; उद्धुबमाण [उद्धूयमान्] वितु उन्नयासण [उन्नतासन] युमासन भग. ३७२,३७३,४६५; भग. ५२२; राय. ३२; नाया. १४७; अंत. १३; उन्नाम [उन्नाम] मानायनो पर्याय उव. ३१; सम. १३०; भग. ५४२: जंबू. ६१,६८,७८,१२१; जीवा. २०२; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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