Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिआ)
૪૬૫
भग. ९: जंबू. २;
उप्पन्नपक्ख [उत्पन्नपक्ष] उत्पतिपक्ष
उप्पल [उत्पल] सूर्य विासी भग, गंध, में भग. १०
વિમાન, સમયનું એક પ્રમાણ, એ નામનો એક उप्पन्नमिस्सिया [उत्पन्नमिश्रिता] सत्यभूषा દ્વિીપ, એક સમુદ્ર, ગધેડો ભાષાનો એક ભેદ
आया. ३८१.५०३,५०५: पन्न. ३८६:
सूय. ६८६,६८७: ठा. ९९: उप्पन्नमीसय [उत्पन्नमीश्रका हुमो ७५२' । सम. ५०,११०ः ठा. ९४२:
भग. ११५,३०३,४६५,४९४,४९८ थी उप्पन्नविगतमीसय [उत्पन्नविगतमिश्रका भाषानो ५००,५०३,५९४,८९४: એક ભેદ
उवा. १४,४३: पण्हा. १९,४५: ठा. ९४२:
उव. ५,१३,५०ः उप्पन्नविगयमिस्सिया [उत्पन्नविगतमिश्रिता]
राय. २८.२९.३२,३४,४२ थी ४४,६२.७७.
७९; हुमो पर'
जीवा. १०५,१६१,१६३,१६५.१६७. पन्न. ३८६ः
१७९,१८०,१८५ थी १८७,२०५,२०७. उप्पन्नसंसय [उत्पन्नसंशयाने संशय पनि थयेटर
२०९,२१२,२८७,३००; છે તે
पन्न. ७७,१२६,१६१,४३०ः उव. ४४;
जंबू. २१,२२,३४,५५.७७,१२२,१२८,
१२९,१३२,१४३,२०९.२११,२३९,२४० उप्पन्नसड्ड [उत्पन्नश्रद्धा ने श्रद्धात्पनथ छेते
निसी. ७६३,१२४७; दसा. ४९ः भग. ९: उव. ४४;
दस. १८९,१९१,१९३: जंबू. २:
अनुओ. २०,२१,१२३,१३८,२७५; उप्पय [उत् + पत्] ये डूj
उप्पलंग उत्पलाङ्ग]समयमुंभ भा५ आया. ५२०:
ठा. ९९;
भग. ३०७,८९४ भग. १७१.१७३,१८९:
जंबू. २२;
अनुओ. १३८.२७५; नाया. ११२: राय. ४२;
उप्पलगुम्म [उत्पलगुल्म] 25 वावी जीवा. १७९: जंबू. २४०,२४३:
जीवा. १९१: उप्पयंत [उत्पतत्] येतो
उप्पलगुम्मा [उत्पलगुल्मा] gो ५२' आया. ५१०.५३५; पण्हा. ८;
जंबू. १४३,१९४; उप्पयण [उत्पतन] ये ४ ते
उप्पलजोणिय [उत्पलयोनिक] ससमयोनिमा भग. १७५:
ઉત્પન્ન उप्पयणी [उत्पतनी] Gयेयवानी विद्या
सूय. ६८७: नाया. १७४ थी १७६;
उप्पलत्त [उत्पलत्व] मर५j उप्पयनिवय [उत्पातनिपाताय3-61२४२वी, मे
सूय. ६८६; જાતનું નાટક
उप्पलनाल [ज्ज्पलनाल] मगनी isl जंबू. २४०
आया. ३८१; उप्पयमाण [उत्पतत] थे यतो
उप्पलनालोवमा [उत्पलनालोपमा] भनी डीनी नाया. ३०.६४.६५,१११:
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