Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४६४
आगमसद्दकोसो
उप्पज [उत् + पद्] उत्पन थj
आया. ५३५; सूय. १६,६२६; ठा. ८९,८७५: सम. १३२: भग. २६७ नाया. १७७; सूर. ३७;
चंद. ४१ जंबू. ४४:
वव. २४९; दस. ५२५;
उत्त. ५४०; नंदी. ८१: उप्पजंत [उत्पद्यमान उत्पन थत
जंबू. ११० उपजय [उत्पद्यक] पनि थये।
जंबू. ५५; उप्पज्जिता [उत्पद्य] Gत्पन्न थने
भग. २६७: उप्पड [उत्पट]ो तेन्द्रिय तु
पन्न. १५०; उप्पण [उत् + पूधान्य वगेरेसाई रामवं
आया. ३६८: पण्हा. ११; उप्पत (उत् + पत्] 63j, ये ४
सूय. ३३३,६३८: ठा. १०००; उप्पतणी [उत्पतनी] 62 63वानी विधा
सूय. ६६२; उप्पतित [उत्पतित] 62 63
सूय. ६३८: सम. २५,४२; उप्पतित्ता [उत्पत्य] 62 630ने
जीवा. १६० उप्पतेत्ता [उत्पत्य] ये सीने
जीवा. १०००; उप्पत्ति [उत्पत्ति उत्पत्ति, माविर्भाव, प्री5२९५ ठा. ७५.२६३.२८३,४०२,६८८.६८९. ८०६.८१८,८२०.८२३ थी ८२५,८९३. १००३:
भग. १६९ नाया. २०: उव. ५५; पन्न. १७२,४१४.६२१: जंबू. १०८.१११.११३ थी ११५:
अनुओ. २१९: उप्पत्तित्ता [उत्पत्य] 6ये 6डीने
नाया. ७४ उप्पत्तिया औत्पातिकी तईद्धि
ठा. ३९५: भग. ५४३,७०१.७८० नाया. १०,२०,६६.९०,९३; विवा. ३२,३४: राय. ५१: निर. १०; नंदी. ९६,१३७ उप्पत्ती [उत्पति] मो ‘उप्पत्ति'
तंदु. ४१; उप्पत्तेत्ता [उत्पत्य ज्ये डीने
ठा. १००० उप्पन [उत्पन्न] उत्पन्न येस, ७५४४
आया. ५३५; सूय. ५५०,६८७; . ठा. २१४,२८२,३६२,४८८,५२१.५९५,
६६७,७२१,७८६,९६६; सम. ११०;
भग.६५५: नाया. ५
उवा. २,४२,४३,४६: पण्हा. १६,१९; विवा. ६,३८,३९.४६; उप्पन्न [उत्पन्न हुमो ७५२' भग. ९,५१,११२,२६७,३२९,३६५,३९०,
४५८,४६७,४८०,५१०,५३२,५५४,५८३: उव. ५१
राय. ७३, जंबू. ६७,७३,७४,९६,१०१,१०३.१२१,
२१४,२२७; महाप. २१; गच्छा. ८६: गणि. १४;
वव. ९४,९५, दसा. १५,४९ थी ५२,११०ः दस. १७४, १७८,५०६: नंदी. १३४; अनुओ. ४६,१६१,३०९: अप्पन्नकोउहल्ल [उत्पनकोतूहल्ल]ने तुइन उत्पन्न થયું છે તે भग. ९:
उव. ४४: जंबू. २: उप्पन्ननाणदंसणधर [उत्पन्नज्ञानदर्शनधर] उत्पन्न
થયેલ જ્ઞાનદર્શન વાળા भग. ९,५१,३२९,३६५,३९०ः
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