Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 458
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૪૫૭ भत्त. १५६: नाया. २१ उदीरिजमाण [उदीर्यमाण) GEी२९॥ ४२तो उदूहल [उदूखल] 64, Hisil भग. ९.१०.१०२,४६६; आया. ३७१,३९९: पन्न. ५३९; उद्द [दे.४मनुष्य, पहनीमांधनोमा , उदीरित्तए [उदीरयितुम्]७६२९४२वा भाटे, प्रेर | मे ॥७eी, तेना यामानुजनेतुंवर કરવા માટે आया ४७९; सूय ३९५: ठा. ५७८; बुह. १९६ः निसी. ४७९ थी ४८१, ११२० थी ११२२; उदीरित्तु [उदीरयितु] ी२९॥ ३८१ उदंडग [उद्दण्डक] तयोरीने यालता तपासनी दसा. २; એક જાતિ उदीरिय [उदीरित] 6ही२९॥२८॥ उव. ४४: पुप्फि. ५: आया. २०५,५४३.५४६: उदंडपुर [उद्दण्डपुर मे ना२ विशेष सूय. ६६१; भग. ६४८; भग. ९,१०,१४,१५,१७,३६,१८१,४६६: उइंडिय [उद्दण्डिक] हुमो उदंडग पण्हा. ४५ राय.३१,७३; __ जंबू. ६९; जीवा. १६४ पन्न. ५३९; उइंस [उद्देश] मे तेन्द्रिय 94, His उत्त. ११८५: उत्त. १६०१: उदीरेंत [उदीरयत्] प्रे२९॥४२तो उद्दसंड [उदंशाण्ड] भांउनु छ ठा. ५९३, निसी. २२१; दसा. ५३; उदीरेत्तु उदीरयितु] ७६२९॥४२वा भाटे उद्दग [उदक] पाए सम. ५० तंदु. ८५: उदीरेमाण [उदीरयत्] प्रे२९॥२तो उद्दड [उद्दग्ध] मे न२31वास भग. ९२३,९४९: अंत. १३; ठा. ५६६: उदु [ऋतु *तु, भोसम उद्दड्डमाज्सिम [उद्दग्धमध्यम] 5 न२31वास, ठा. ४९९,५७४,८७५: વિશેષ सम. १३७; नाया. २१,२४; ठा. ५६६: पण्हा. ४३,४५: जीवा. ३००; उद्दढावत्त [उद्दधावर्त) हुमो ७५२' जंबू. २२,२७९: वव. १८७ ठा. ५६६: उदुंबर [उदुम्बर] विश्रुत नुंग अध्ययन उद्दढावासट्ट [उद्दग्धावास/मो ७५२' टा. ९६८ टा. ५६६: उदुंबरिजिया [उदुम्बरिया छैन मुनिनी १५ | उद्दरिय [उदृप्त] ३५ शत्रुने छतवाने भ॥३२ दसा. ५३: થયેલ उदुभेद [उदकोब्भेदागीरी-पर्वत-तटामिाथी नंदी. १४: પાણીનું નીકળવું उद्दव [उप + द्र] ५६ ४२वो भग. १९९: आया. १७: उदुमास [ऋतुमास तुभास उद्दव [उप + द्रुमार, विनाशको सम. १३९: आया. ४०२.४४९.४६५: उदुलच्छी [ऋतुलक्ष्मी] *तुलक्ष्मी ठा. ४४३: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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