Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 448
________________ (सुत्तंकसहिओ) जंबू. २३०: उत्तरण (उत्तरण] तरी ४, पार उतरते ठा. १०२ : सम. २२१: विवा. १५,२१: नाया. १३९: जंबू. ७६,८५, उत्तरत्तर [ उत्तरतर] उपरितन स्थानवर्ती, श्रेष्ठतर उब. ४१,४३; उत्तरतिन्नि [उत्तरत्रिणि] उपरनी भए। गणि. २४ : उत्तरतो [उत्तरतस्] उत्तरथी ठा. ७७६ : उत्तरदारिक [ उत्तरद्वारिक] उत्तरहिशा तर भुष રાખનાર ठा. ६९१; सम. ७; उत्तरदारिया [उत्तरद्वारिका] खो 'पर' सूर. ५१: चंद. ५५: उत्तरदाहिण [उत्तरदक्षिण] उत्तर भने दृक्षिए। हिशा जंबू. १३,१४६, १६५, १६७, १७०, १७१, १७४, १७८, १८४, १९४, २००; उत्तदाहिणाया [ उत्तरदक्षिणायता] उत्तर दृक्षिए। લાંબુ जंबू. १३,१४१,१६३, १६७, १७०, १७१, १७८, २००; उत्तरदिसा [ उत्तरदिश] उत्तर हिशा भग. ५०८: उत्तरद्ध [उत्तरार्द्ध] अर्द्ध उत्तर जंबू. ४६; उत्तरद्धभरह [उत्तरार्द्धभरत] भरतनो उत्तरार्द्ध प्रदेश जंबू. १३: उत्तरपगडि [ उत्तरप्रकृति] अर्मनी पेटा प्रवृत्ति सम. १३,५५.६२,६३.११५.१२९.१३०, १३३.१३६, १४७.१६६,१७०, १७८: भग. ४४७, ४५०,७३०: उत्तरपच्चत्थिम [उत्तरपाश्चात्य ] वायव्य भूगो भग. २२०,५४६: जीवा. १४६, १९१,२०७: Jain Education International पत्र. २९५ : सूर. १,१९५: जंबू. १,७५,९६,१०३, १२२, १२८, १४३, १४६, १५१, १५४, १६३, १६५, १९४, १९६, १९७,२१४, २१७, २२८,२२९,२३९; पुप्फ. ३: पुष्पि. ८: वहि. ३: दसा. १६; उत्तरपच्चत्थिमल्ल [उत्तरपाश्चात्य ] वायव्य भूगानुं ठा. ३२९; जीवा. १४५, १९१,२९४; उत्तरपट्ट [उत्तरपट्ट] संथारीया उपर पाथरवानुं मेड વસ્ત્ર ओह. ४४२, १०७७; पिंड. ३७: उत्तरपट्टग [उत्तरपट्टक] दुखो 'पर' महानि. १३९१; उत्तरपडिउत्तरवडिय [उत्तरप्रत्युत्तरवत्तिय] सवास - જવાબ નિમિત્તે गच्छा. १२९; उत्तरपाईण [ उत्तरप्राची] छशानभूगो जंबू. ९०; उत्तरपासग [ उत्तरपार्श्वक] उत्तर पडणे राय. २७: उत्तरपासय [उत्तरपार्श्वक] उत्तर पडणे जीवा. १६७; ४४७ उत्तरपुरत्थ [उत्तरपौरस्त्य] ईशान भूगो भग. ५११: उत्तरपुरत्थिम [ उत्तरपौरस्त्य ] दुखो 'उपर' आया. ५२०,५३५, सूय. ७९३,७९५; भग. ठा. ९०९; ५.११२,११३, १३०, १५२, १६०. १६१,१७२, १७४, १७६,२२०, २९५,४४४. ४६२, ४६५, ४७५, ५०६,५०८,५१८, ५२४,५२८, ५४६.५७३,५८७,६३७,६५५,६५७,६७१; नाया. २,१५, २२,३४, ४२,५५,६२,६३, ६५,६७,७६.८६,८७,९८, १०३, १२४, १४३, १४५, १५२, १५७, १५८,२१३,२२०; उवा. ५,१९,२८,३१, अंत. ३,१०,२०,२७; For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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