Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 442
________________ (सुतंकसहिओ) ४४१ उड्डुभडग [उड्डभृतक] मे मनार्थ देश सूर. ३१.३५,४१,११७,१७१,१९२; पन्न. १६६; चंद, ४,१३ थी १५,२१,३१,४०,४६ थी उड्डय /दे. मोऽ२ ४८,५३,९६,१२७ थी १३२,१३४,१३८, आव. ३९; १४०,१४१,१४३,१४६,१५१.१५४,१५७, उड्ड [ऊर्ध्वी यो, ७५२, Gdals, 6वEिL, १६५,१६६, १६९,१७०,१७८.१९३ थी भुण्य, उत्तम, मो, परितन १९९,२४३,२६४,२६६,३३४.३६२; आया. २,४,४२,४३,९५,१०६.१४६. निर. १७; कपा. १: १८२,२१४,३३१,५२०.५३५; पुष्फि.५; वहि . ३: ठा. ५४,८६,८९,९५ थी ९८,१५१,१५९, महाप.४१: आउ. ४७: २२७,३२१,३२७,३२९,३४५.४०६. देविं. ७३,१३८,२३८; बुह. १६५; ४७२,४७३,५१२.५३६.५६९.५८३. दसा. २३,१०८,१०९: दस. २५८; ५९३,६६३,६६८,६७८.६७९,७०७, उत्त. १०८,११०,१७४,३८८,६६३,६६५, ७४७,७४८,७५३,७५६,७८७,७९४, ६९६,१०३०,११८८,१५१४: ७९६,८०९,८६९,८७९,८८०,९१३, नंदी. ८२ अनुओ. २८०,२८२, ९१६,९१९,९३०,९९९; २८४,२८६,२९३,२९५; सम. ७,८,१३,१४,२५,३४,४२,४९,५०, | उर्ल्ड [ऊर्ध्वी शुओ ‘उड्ड' ५५,६८,१११ थी ११४,११६,१२१, सूय. १४४,२४४,३१०.३५५,४७४,५०७, १२८,१३८,१३९,१४८,१५९,१६३, ५९३,६४१,७५१,७६८: १६९,१७८ थी १९३,२४१.२४६: उवा. १६; अनुत्त. १: भग. ६९,७८,१४०,१५८,१६०.१७० थी | | उड्डंकाय [उड्डकाक] 817 १७५,१७७,१८९,१९४.२२५,२३८.२४६, || सूय. ३३३; २९१,३०१,३०७,३३३,३६४,४२१.४४६, | उडुंगामि [ऊर्ध्वगामिन्] 6५२४नार ४४९,४५०,४५८,४७५,४७७,४९०,५०६, | आया. ४५२; सम. ३४४; ५०८,५१०,५११,५२८,५५५,५७३,५८६.. | उडुंगारव [ऊर्ध्वगौरव]आयुष्यना परिएमनो ५९४,६१७,६४१,६४३,६५१.६५५ थी। પ્રકાર કે જેનાથી જીવ ઉંચી ગતિમાં જાય ६५७,६७१,७०८.७३१,८०१,८०२.८७४: ठा. ८४६: नाया. ४१,८७,१०९,११२.१२४,१२५, | | उटुंजाणु ऊर्ध्वजानु धा यी २३ तेवामासने १३४,१५९; બેસનાર पण्हा. १७,२०: उव. ५०,५५: भग. ८.७२,२२९.४१०.४८७,७५०ः राय. २७,२९,३३ थी ३६,३८,३९,७५३: नाया. ५: उवा. २: जीवा. १४,१६०.१६२,१६३.१६७,१७३ उव. २१.४४: थी १७७.१८२,१८६ थी १९१.१९८. उडुंठाण [ऊर्ध्वस्थान] यु स्थान २०५.२०८,२६६.२८७.२९४.३२४. आया. १७२: ३२८,३३३: उडंपाद [ऊर्ध्वपाद] ५ या रास पन्न. १९२,२२५ थी २२८,२३२,२३४.२३५. __ भग. ५९४ ३९१.३९२.४२८.५२१,५५२.५५५.५८१. उडेपाय [ऊर्ध्वपाद] मो ७५२' ६२१ । भग. १७२; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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