Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४२४
आगमसद्दकोसो
पन्न. ३२५:
पत्र. ३१५; उक्कोसपद [उत्कर्षपद] Gट ५६
उक्कोसोगाहणय [उत्कर्षावगाहनका भो ७५२' जीवा. १३६, पन्न. ४०४:
पन्न. ३१५थी३२०,३२४,३२५; उक्कोसपय [उत्कर्षपद] Ge५६
उक्खड /दे. वारंवार जीवा. १३६: जंबू. ३६०,३६१; गच्छा.७२: अनुओ. २९९;
उक्खण [उत्+खन्] 6sg, suj उक्कोसमति [उत्कर्षमति]6ष्टद्धि
पण्हा . ८: पन्न. ३१७;
उक्खणण [उत्खनन] 6 ते उक्कोसमदपत्त [उत्कर्षमदप्राप्त] Grg मा वाणो | सूय. ६४७,६६५,७०४; पण्हा . ८; पन्न. ४६५;
उक्खणिय [उत्स्वनित 6j उक्कोसय [उत्कर्षका भोटामा मोटो || पिंड. २४६;
भग. २१७,५१५.५७९,८६३,८६५; || उक्खय [उत्खात समोर पत्र. ४३५,५२४;
नाया. ७५; सूर. २२,२३,२५ थी २८,३०,३३,३४,३७, || उक्खल [उदूखल] 64, wise ३९,४१,१९५;
सूय. २८९: पण्हा. ८; चंद. २६,२७,२९ थी ३२,३४,३७,३८,४१,
उक्खलुंपिय [दे.vixणीने ४३,४५,१९९;
__ आया. ३६६; जंबू. २५९; अनुओ. २५३,३१७;
उक्खा [ऊखाथाजी,siseी उक्कोसा [उत्कर्षका भोटमा मोटो
आया. ३४४,३४६: पन्न. ४६८;
उक्खाय [उत्खात643e उलोसिय [उत्कृष्ट] उत्तम, सौथी वधु
नाया. ७५; भत्त. ३७;
उक्खिण्ण [उत्कीर्ण) ५२॥ये उत्त. १३७६,१५४४.१५५२,१५६६.१५८६,
पण्हा. १६: बुह.५१,५२,५८,५९; १६३१,१७०८,१७१४; उकोसिया उत्कर्षिका] धारे, भानामनु |
उक्खित उक्षित] विलेपन रेस, सिंह
सूय. ६६४ भग. ४६३: ગોત્ર
| उक्खित्त [उत्क्षिप्त युरेस, 64031, २॥यननो ठा. २४४.४१५.४१६.७८८.७९०:
એક ભેદ, ખેચેલ, એક અધ્યયન सम. ३१,४१,४३,११४,१४६,१६८,
आया. ४२१.५२६: सम. २८१: १८५,१८८.१९०,२०५;
भग. ४०७: भग. ६२,६७.२१७,४२४,४३१,५१४,
नाया. ३७,६१,१०४.१३४,१९४: ७६२,८४०
विवा. १२.१९,२४,३३: नाया. १०९:
राय. २४:
जीवा.७९: सूर. २१,२५,३३.३५,३७:
जंबू. २४०
दसा. १०३: चंद. २५,२९,३७,३९,४१;
| उक्खित्तचरग [उत्क्षिप्तचरक] संधवाना वासजंबू. ४४,२५९: उक्कोसोगाहणग [उत्कर्षावगाहनकट सब
માંથી ખાવાના વાસણમાં પોતા માટે ગૃહસ્થ ગાહનાવાળો
|| કાઢેલ હોય તેવું જ અન્ન લેવાનો અભિગ્રહધારી
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