Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 414
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४१३ सूय. ६५७: ठा. ७११.८९५: आया. २५, सूय. १११; भग. ४२७; उत्त. ५९४,७२६; भग. २५, नाया. ३० अनुओ. २५०,२५१: उवा. ५ अंत. १३: इस्सरियमय [ऐश्वर्यमद] भोट15-द्धि संपत्ति पण्हा . ८; उव. १२: વગેરેનું અભિમાન राय. ५४; जीवा. १०५;सम. ८; पन्न. १६२; निर. ७: इस्सरियविसिट्ठया [ऐश्वर्यविशिष्टता] ऋद्धिनी|| दसा. ५३; उत्त. ११८ः વિશેષતા • अनुओ. ३३६; पन्न. ५३९,५४०; इहगत [इहगत मी सो इस्सरियविहीणया [ऐश्वर्यविहीनता] ऋद्धिनो | राय. ५, અભાવ इहगय [इहगतमी रहेको पन्न. ५३९,५४०; सम. १०१,१०९,१२५; इस्सरियसिद्धि |ऐश्वर्यसिद्धि/दिसंपतिनी प्राप्ति || अंत. २७: उवा. १२; राय. ५९; सूय. ७४: जंबू. २२७,२५८,२७५: इस्सरीकय [ईश्वरीकृत] धनाढ्य नथी तेने धनाढ्य || इहत्थ [इहा माद नामर्थ सुमनोमामिलाषी બનાવેલ ठा. ३४९; इहभव /इहभव मानव, २॥४न्म दसा. ७०; भग. ११२,१३२,४६०,५०८,५२६,५२८, इस्सा [ईा अहेमा ५३५, दसा. ७१: उत्त. १४०५: इह [इह , सोमi नाया. ६० थी ६२,७५,१३५.१४०,१४७, १५७,२१२,२१७,२१८ः आया. १; सूय. ७; उव. २७; राय. ५४: ठा. ७७; सम. १; दसा. ९९; भग. ११२; नाया. ९ः इहभविय [ऐहभविक मानव संबंधि उवा. ५ अंत. २०; भग. २३,९७,२२३; चउ. ५०; पण्हा . ३; विवा. ५: इहभवियआउय [इहभविकायुषमानवमुंआयुष्य उव. १२: राय. ५४; जीवा. १: जंबू. ४४; भग. ९७,२२३; निर.५: इहभवियचरित्त [इहभविकचारित्र] मान्मनुं भत. ६२: देविं. १४९,२८३: वीर. ३६: ચારિત્ર निसी. ५९०ः भग. २३: बुह. १५२: वव. १९७: दसा.१: इहभवियनाण [इहभविकज्ञान] मा ४न्म संबंधि दस.३२ उत्त. ४९: જ્ઞાન अनुओ. २२०: भग. २३; इहई /इह इहरहा [इतरथा अन्यथा महानि. ११४०,११४६: भग. ३६: इह [इहामी इहरा /इतरथा अन्यथा पिंड. ४९१: U Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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