Book Title: Agamsaddakoso Part 1
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
3७८
आवसित्ता [आवश्यिकी] मावश्य इतव्य, मे || सूय. ४०७: __भत्त. १०८: સામાચારી
आवाग [आपाक] निभाओ जंबू. १२५:
पन्न. ५३९: नंदी. १२०; आवसिया [आवश्यिकी]gमो ७५२' आवाड /आपात मिसनीति महानि. १३८२:
जंबू. ८० थी ८४,९०.९५: आवस्सग आवश्यक अवश्य ४२॥ योग्य जिया, || आवात [आपात] साव, मासोनू પ્રતિક્રમણ, એક આગમસૂત્ર, નિત્યકર્મ, | ગમનાગમન આત્માને વશ કરનાર, કાયાના ત્યાગ રૂપ, ठा. २६९; સામાયિકાદિ છ અધ્યયન રૂપ, સમગ્ર ગુણના |
आवाय [आवात]मो 6५२' मावास ३५, मद्र, भूग-उत्तर अनुष्ठान ||
। ओह. ४९८ः લક્ષણ
आवाय [आपाक] निभा ठा. ३२२ भग. ७५६:
ठा. ७०२; पुष्फि. ५; गच्छा.५३:
आवाय [आपातमारंभ, २३मात, प्रथम मिसान, जो.नंदी. १; ओह. ३३१.६५५: || drstei, तुरंत, ५७, संघ, संयो। आवस्सगवइरित्त [आवश्यकव्यतिरिक्त आवश्य: भग. ३७८; नाया. १५७: સિવાયના સૂત્રતે
उत्त. ९५१: नंदी. १३७
आवायभद्दय [आपातभद्रक] पडेटा मिसनमा आवस्सय [आवश्यक] ओ 'आवस्सग' બોલવા-ચાલવા વગેરેમાં સુખ આપનાર ठा. ७१; नाया. ७८;
ठा. २६९; राय. ६२:
ओह. ३५६ थी ६५०; || आवाव [आवाप] भाटीनपात्र वानस्थान, नंदी. १३७:
પ્રક્ષેપ, ફેંકવું अनुओ. ५ थी ११,१३ थी २९,६६;
ठा. ३०१; आवस्सयवइरित्त [आवश्यकव्यतिरिक्ता मावश्य: || आवावकहा [आवापकथा]मोन संबधि जथा સિવાયના સૂત્રતે
ठा. ३०१ . नंदी. १३७
आवारिज्जमाण [आवार्यमाणावरवा योग्य आवस्सयवतिरित्त [आवश्यकव्यतिरिक्त ठुमो __भग. ६५२: "64२'
आवास [आवास]आवास, महेश, हवेली, निवास ठा. ७१;
अनुओ. ५: । स्थान, २५, शरीर, दीप, समुद्र, आवस्सयसुयक्खंध [आवश्यकश्रुतस्कन्ध] थे| નરકાવાસ નામનું એક સૂત્ર
आया. २५६.५४१: अनुओ. ६२:
ठा. ९९.३३६.४५५,८२८: आवस्सिया [आवश्यकी] मे २नी सामायारी सम. २२०: ठा. ९६०: भग. ९६५:
भग. ५२,५४,५७.६२.६३.६७.१५२,१५४, आव. १०: ओह. ६६८;
१५५.३००.३०१,४८२,४९२,५४३,५५१, उत्त. १००८.१०११: अनुओ. १४२:
५६४.५६५.५६७.५६९,५८६.५८८,५९७. आवह [आ+वह धार। २, वनखं ।।
६५७.६९५,७३६,७३७,७३९,७६९.७७०
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