Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan View full book textPage 9
________________ गाथा क्रमांक पृष्ठ क्रमांक ९०-९२ ९३-९४ २३-२५ २५ २५-२७ ९७-९८ .... ९९-१०० .... १०१-१०६ १०७ " १०८-११० .... १११-११२ २७२९ विषय पंडितमरण प्ररूपणा अनआराधक स्वरूप आराधना माहात्म्य विशुद्ध मन प्राधान्य प्रमाद दोष प्ररूपणा संवर माहात्म्य ज्ञान-प्राधान्य प्ररूपणा जिनधर्म में श्रद्धा विविध त्याग प्ररूपणा प्रत्याख्यान से समाधि प्राप्ति अरहंत आदि एक पद के शरण ग्रहण एवं प्रत्याख्यान करने से आराधकत्व वेदना सहन का उपदेश अभ्युद्यतमरण प्ररूपणा आराधना पताका प्राप्ति प्ररूपणा संसारतरन और कर्म निस्तारण उपदेश आराधना के भेद और उसके फल सर्व जीव क्षमापना धीरमरण प्रशंसा प्रत्याख्यान पालन का फल परिशिष्ट (१) महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक में प्रयुक्त विशिष्ट शब्द (२) महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक की गाथानुक्रमणिका (३) सहायक ग्रन्थ सूची " ११३-१२० .... ..." १२१-१२५ "" १२६-१२७ १२८-१३४ १३५-१३६ १३७-१३९ १४० १४१ १४२ ३४-४२ ४३-४५ ४६-४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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