Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit SamsthanPage 58
________________ (४२ . अन्य आगम ग्रन्थ [५३] (6) एक्कम्मि वि जम्मि पते संवेगं कुणति वीतरागमते। सो तेण मोहजालं छिन्दति अज्झप्पजोगेणं ।। (विशेषावश्यकभाष्य, गाथा ३५७८) (ii) एक्कम्मि वि जम्मि पए संवेगं कुणइ वीयरायमए । सो तेण मोहजालं खवेइ अज्झप्पजोगेणं ॥ (चन्द्रवेध्यक, गाथा ९५) [५४] (i) एक्कम्मि वि जंम्मि पर संवेगं वीयरागमग्गम्मि। वच्चइ नरो अभिक्खं तं मरणंते न मोत्तव्वं ॥ (चन्द्रवेध्यक, गाथा ९४) (i) एगम्मि वि जम्मि पए संवेगं वीयरायमग्गम्मि। गच्छइ नरो अभिक्खं तं मरणं तेण मरियव्वं ॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा ६०) (i) एक्कम्मि वि जम्मि पदे संवेगं वीदरायमग्गम्मि । गच्छदि णरो अभिक्खं तं मरणंते ण मोत्तव्वं ॥ (भगवती आराधना, गाथा ७७४) (iv) एक्कह्मि बिदियह्मि पदे संवेगो वीयरायमग्गम्मि । वच्चदि णरो अभिक्खं तं मरणंते ण मोत्तव्वं ॥ (मूलाचार, गाथा ९३) [५५] (i) समणो ति अहं पढम, बोयं सव्वत्थ संजओ मि त्ति ।। सव्वं च वोसिरामी, एयं भणियं समासेणं॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा ६३) (i) समणो मेत्ति य पढमं बिदियं सव्वस्थ संजदो मेत्ति । सव्वं च वोस्सरामि य एवं भणिदं समासेण ॥ (मूलाचार, गाथा ९८) अरहंता मंगलं मज्झ, अरहंता मज्झ देवया। अरहते कित्तइत्ताणं वोसिरामि त्ति पावगं ॥ (आतुरप्रत्याख्यान (१), गाथा १) [५७] सिद्धा य मंगलं मज्झ, सिद्धा य मज्झ देवया । सिद्ध य कित्तइत्ताणं वोसिरामि ति पावगं । (आतुरप्रत्याख्यान (१), गाथा २) ५८] आयरिया मंगलं मज्झ, आयरिया मज्झ देवया । आयरिए कित्तइत्ताणं वोसिरामि ति पावगं ॥ (आतुरप्रत्याख्यान (१), गाथा ३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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