Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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[५३]
महापच्चक्खाणपइण्णयं एक्कम्मि वि जम्मि पए संवेगं कुणइ वीयरायमए। सो तेण मोहजालं छिदइ अज्झप्पयोगेणं ।।
( महाप्रत्याख्यान, गाथा १०४)
[५४]
एक्कम्मि वि जम्मि पए संवेगं कुणइ वीयरायमए। वच्चइ नरो अभिक्खं तं मरणं तेण मरियव्वं ।
(महाप्रत्याख्यान, गाथा १०५)
[५५]
समणो मि त्ति य पढम, बीयं सव्वत्थ संजओ मि त्ति। सव्वं च वोसिरामि जिणेहिं जं जं च पडिकुळें ॥
(महाप्रत्याख्यान, गाथा १०८)
[५६]
अरहंता मंगलं मज्झ, अरहंता मज्झ देवया। अरहते कित्तइत्ताणं वोसिरामि त्ति पावगं ॥
(महाप्रत्याख्यान, गाथा ११५) सिद्धा य मंगलं मज्झ, सिद्धा य मज्झ देवया । सिद्धे य कित्तइत्ताणं वोसिरामि त्ति पावगं ।।
(महाप्रत्याख्यान, गाथा ११६ ) आयरिया मंगलं मज्झ, आयरिया मज्झ देवया। आयरिए कित्तइत्ताणं बोसिरामि त्ति पावगं ॥..
( महाप्रत्याख्यान, गाथा ११७ }
[५८]
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