Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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महापच्चक्खाणपइण्णयं
( पंडियमरणपरूवणा )
एक्कं पंडियमरणं पडिवज्जिय सुपुरिसो असंभंतो । खिप्पं सो मरणाणं काही अंतं अनंतानं ॥ ९० ॥
कि तं पंडियमरणं ? काणि व आलंबणाणि भणियाणि ? | एयाई नाऊणं किं आयरिया पसंसंति ? ॥ ९१ ॥
अणसण पाओक्गमं आलंबण झाण भावणाओ य । एयाई नाऊणं पंडियमरणं
पसंसंति ॥ ९२ ॥
( अणाहारगसरूवं )
इंदियसुहसा उलओ घोरपरीसहपराइयपरज्झो । अकयपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले ॥ ९३ ॥
लज्जाइ गारवेण य बहुस्सुयमएण वा विदुच्चरियं । जे न कर्हिति गुरूणं न हु ते आराहगा होंति ॥ ९४ ॥
( आराहणामाहप्पं )
सुज्झइ दुक्करकारी, जाणइ मग्गं ति पावए कित्ति । विणिगूहितो जिंदs, तम्हा आराहणा सेया ॥ ९५ ॥
( विसुद्धमणपाहणं )
नविकरणं तमओ संथारो, न वि य फासुया भूमी । अप्पा खलु संथारो होइ विसुद्धो मणो जस्स ॥ ९६ ॥
( पमायदोसपरूवणा )
जिणक्य अणुगया मे होउ मई झाणजोगमल्लीणा । जह तम्मि देसकाले अमूढसन्नो चयइ देहं ॥ ९७ ॥
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