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महापच्चक्माणपइण्णयं समिति है तथा पाँचवीं समिति उच्चार समिति है।' ___ दिगम्बर साहित्य में भी पाँच समितियों का उल्लेख है । वहाँ भी अन्तिम दोनों समिति के नामों में श्वेताम्बर साहित्य से आंशिक भिन्नता है। वहाँ चोथी समिति आदान निक्षेपण समिति और पांचवीं समिति प्रतिस्थापन समिति कही गई है। ज्ञानावरणादि आठ कर्मों का सर्वथा क्षय करके मोक्ष में जानेवाले जीव सिद्ध कहलाते हैं।
सिद्ध
१. उत्तराध्ययन २४/१-२ । २. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग ४, पृष्ठ ३४० । ३. (क) प्रज्ञापना, पद १, (ख) श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह भाग ५,
पृष्ठ ११७।
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