Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 35
________________ महापच्चक्खाणपइण्णयं महाप्रत्याख्यान गाथा क्रमांक मरण विभक्ति गाथा क्रमांक . २६६ ७५ ७६ २६५ ७७ २६७ २६८ ७८ ७९ २६९२ २७.३ २७१७ २७२१ २७३ २७४ २७५ २७६. २७७ २७८७ २७९ २८० २८१ २८२ २८४ २८४ २८५० २८७९ १. यहाँ प्रथम दो चरण में आंशिक रूप से शाब्दिक भिन्नता है। २. यहाँ 'खुहिउमारद्धं' के स्थान पर 'धणियमाइद्धं' शब्द प्रयुक्त हुवा है। यहाँ 'पन्भार-कंदरगया' के स्थान पर 'गिरिकुहर-कंदरगया' शब्द प्रयुक्त हुआ है। ४-५. यहाँ शब्द रूप में आंशिक भिन्नता होते हुए भी भावगत समानता है। ६. यहाँ 'विसयसुहसमुइओ अप्पा' शब्दों के स्थान पर 'विसयसुहपराइओ जीवों शब्द प्रयुक्त हुए हैं, किन्तु भावगत समानता है । ७. यहाँ 'मइपुव्वं' के स्थान पर 'सुहभावो' शब्द प्रयुक्त हुआ है। ८. यहाँ 'आराहणा' के स्थान पर 'आलोयणा' शब्द प्रयुक्त हुआ है। ९. यहाँ 'मणो जस्स' के स्थान पर 'मरंतस्स' शब्द प्रयुक्त हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115