Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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महापच्चक्खाणपइण्णय
[४]
धीरपुरिसपण्णत्तं सप्पुरिसनिसेवियं परमघोरं । धन्ना सिलायलगया साहिती अप्पणो अटुं ।
। महाप्रत्याख्यान, गाथा ८४)
[४५]
[४६]
पुव्वमकारियजोगो समाहिकामो य मरणकालम्मि । न भवइ परीसहसहो विसयसुहसमुइओ अप्पा ॥
(महाप्रत्याख्यान गाथा ८६) पुचि कारियजोगो सामाहिकामो य मरणकालम्मि । स भवइ परीसहसहो विसयसुहनिवारिओ अप्पा ॥
(महाप्रत्याख्यान, गाथा ८७) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपराइयपरज्झो। अकयपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले ॥
(महाप्रत्याख्यान, गाथा ९३ ) :
[४७]
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