Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 54
________________ अन्य आगम ग्रन्थ (1) जिणवयणमप्पमेयं, महुरं कण्णाहूति सुर्णेतेणं । सक्का हु साहुमज्झे, संसार महोर्याहि तरिउ | (निशीथसूत्र भाष्य, गाथा ३९१४) (iii) जिणवयणममिदभूदं महुरं कण्णाहुदि सुणंतेण । सक्का हु संघमज्जे साहेदु उत्तमं अट्ठ ॥ ( भगवती आराधना, गाथा १५५५ ) [४४] (i) धीरपुरिसपण्णत्तं सप्पुरिसनिसेवियं परमघोरं । धन्ना सिलायलगया साहंती उत्तमं अट्ठ ॥ ( संस्तारक, गाथा ९२ ) (ii) धीरपुरिसपन्नत्ते सप्पुरिसनिसेविए अणसणम्मि | धन्ना सिलायलगया निरावयक्खा निवज्जंति ॥ ( आराधनापताका, गाथा ८८ ) (ii) धीरपुरिसपण्णत्ते, सप्पुरिसणिसेविते परमरम्मे । धण्णा सिलातलगता णिरावयक्खा णिवज्जंति ॥ (निशीथसूत्र भाष्य, गाथा ३९११)(iv) धीरपुरिसपण्णत्तं सप्पुरिसणिसेवियं उवणमित्ता । धण्णा णिरावयक्खा संथारगया णिसज्जंति ॥ (भगवती आराधना, गाथा १६७१) [४५] (i) एवमकारिजोगो पुरिसो मरणे उवट्ठिए संते । न भवइ परीसहसहो अंगेसु परीसहनिवाए ॥ ( चन्द्रवेध्यक, गाथा ११९ ) (ii) पुव्वमकारिदजोगो समाधिकामो तहा मरणकाले । ण भवदि परीसहसहो विसयसुहे मुच्छिदो जीवो ॥ ( भगवती आराधना, गाथा १९३ ) [४६] (i) पुव्वि कारियजोगो समाहिकामो य मरणकालम्मि । भवइ य परीसहसहो विसयसुहनिवारिओ अप्पा || (चन्द्रवेध्यक, गाथा १२० ) (ii) पुव्वं कारिदजोगो समाधिकामो तहा मरणकाले । होदि परीसहसहो विसयसुहपरम्मूहो जीवो ॥ (भगवती आराधना, गाथा १९५ ) इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपराजियपरस्सो । अकदपरियम्म कीवो मुज्झदि आराहणाकाले । (भगवती आराधना, गाथा १९१ ) [ ४७ ] Jain Education International પ્ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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