Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 40
________________ अन्य आगम.ग्रन्थ खमामि सव्वजीवाणं सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्ती मे सव्वभूदेसु वेरं मझं ण केणवि ॥ (मूलाचार, माथा ४३)' [८] (i) निंदामि निंदणिज्ज गरहामि य जं च मे गरहणिज्जं । आलोएमि य सव्वं सभितर बाहिरं उवहिं॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा ३२) (ii) जिंदामि जिंदणिज्जंगरहामि य जं च मे गरहणीयं । आलोचेमि य सव्वं सब्भंतरबाहिरं उहि ॥ (मूलाचार, गाथा ५५) [२] (i) ममत्तं परिवज्जामि निम्ममत्तं उवढिओ। आलंबणं च मे आया, अवसेसं च वोसिरे ॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा २४) (ii) मत्ति परिवज्जामि णिम्ममत्तिमुवट्ठिदो। आलंबणं च मे आदा अवसेसं च वोसरे ।। (नियमसार, गाथा ९९) (iii) मत्ति परिवज्जामि णिम्ममत्तिमुवट्ठिदो । आलंबणं च मे आदा अवसेसाई वोसरे ।। (मूलाचार, गाथा ४५) [१०) (i) आया हु महं नाणे, आया मे दसंणे चरित्ते य । आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे॥ __(आतुरप्रत्याख्यान, गाथा २५) (ii) आदा खु मज्झ णाणे आदा मे दंसणे चरित्ते य । आदा पच्चक्खाणे आदा मे संवरे जोगे ।। (नियमसार, गाथा १००) (भावपाहुड, गाथा ५८) (मूलाचार, गाथा ४६) (ii) आदा खु मज्झ णाणं आदा मे दंसणं चरित्तं च । आदा पच्चक्खाणं आदा मे संवरो जोगो ।। (समयसार, गाथा २७७) १. मात्र पहले दो चरण ही समान है। २. मूलाचार में 'खु' के स्थान पर 'हु' है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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