Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ महापच्चक्खाणपइण्णयं [२१] [२२] सोही उज्जुयभूयस्य धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई। निव्वाणं परमं जाइ घयसित्ते व पावए । (महाप्रत्याख्यान, गाथा २३) नहु सिज्झई ससल्लो जह भणियं सासणे धुयरयाणं । उद्धरियसव्वसल्लो सिज्झइ जोवो धुयकिलेसो॥ (महाप्रत्याख्यान, गाथा २४ ) न वि तं सत्थं व विसं व दुप्पउत्तो व कुणइ वेयालो। जंतं दुप्पउत्तं सप्पो व पमायओ कुद्धो ॥ ( महाप्रत्याख्यान, गाथा २७) [२३] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115