Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 50
________________ 'अन्य आगम ग्रन्थ (4) उड्ढमधो तिरियसि दु कदाणि बालमरणाणि बहुगाणि । दसणणाणसहगदो पंडियमरणं अणुमरिस्से ॥ ___(मूलाचार, गाथा ७५) १३०] माया पिया ण्हसा भाया भज्जा पुत्ता य ओरसा । नालं ते मम ताणाय लुप्पन्तस्स सकम्मुणा ॥ (उत्तराध्ययनसूत्र, गाथा ६/३)' [३१] एक्को करेइ कम्मं एक्को हिंडदि दीहसंसारे । एक्को जायदि मरदि य एवं चितेहि एयत्तं ॥ (मूलाचार, गाथा ७०१) [३] उन्वेयमरणं जादीमरणं णिरएसु वेदणाओ य। एदाणि संभरतो पंडियमरणं अणुमरिस्से ।। (मूलाचार, गाथा ७६) । [३३] एगं पंडियमरणं छिदइ जाईसयाणि बहुगाणि । तं मरणं मरिदव्वं जेण सदं सुम्मदं होदि ॥ __(मूलाचार, गाथा ११७) [३४] संसारचक्कवालम्मि मए सव्वेवि पुग्गला बहुसो। आहारिदा य परिणामिदा य ण य मे गदा तित्ती॥ (मूलाचार, गाथा ७९)२ . [३५] आहारणिमित्तं किर मच्छा गच्छंति सत्तमि पुढवि । सच्चित्तो आहारो ण कप्पदि मणसावि पत्थेदुं । (मूलाचार, गाथा ८२) [३६] (1) तण-कठेहि व अग्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहिं । न इमो जीवो सक्को तिप्पेउं काम-भोगेहिं ॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा ५१). (ii) तिणकट्ठण व अग्गो लवणसमुद्दो णदीसहस्सेहिं । ... ण इमो जीवो सक्को तिप्पे, कामभोगेहिं ॥ (मूलाचार, गाथा ८०) [३७] हतूण रागदोसे छेत्तूण य अट्ठकम्मसंखलियं । जम्मणमरणरहट भेत्तूण भवाहि मुच्चिहसि ॥ (मूलाचार, गाथा ९०) . १-२. यहाँ शब्द रूप में कुछ भिन्नता होते हुए भी भावगत समानता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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