Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
View full book text
________________
३
महाफम्याक्सामा
[११]
मूलगुणे उत्तरगुणे जे मे नाऽराहिया पमाएणं । ते सव्वे निंदामि पडिक्कमे आगमिस्साणं ॥
( महाप्रत्याख्यान, गाथा १२)
[१२]
एक्को हं नथि मे कोई, न चाहमवि कस्सई। एवं अदीणमणसो अप्पाणमणुसासए ।
( महाप्रत्याख्यान, गाथा १३)
[१३]
एक्को उप्पज्जए. जीवो, एक्को चेव विवज्जई । एक्कस्स होइ मरणं एक्को सिज्झइ नीरो ।
( महाप्रत्याख्यान, गाथा १४)
[१४]
एक्को करेइ कम्मं, फलमवि तस्सेक्कओ समणुहवइ । एक्को जायइ मरइ य, परलोयं एक्कओ जाइ ॥
( महाप्रत्याख्यान, गाथा १५)
_ [१५]
एक्को मे सासओ अप्पा नाण-दंसणलक्खणो। सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा॥
. ( महाप्रत्याख्यान, गाथा १६ ).
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115