________________
२४
महापच्चक्खाणपइण्णयं
विषयवस्तु की तुलना
'महाप्रत्याख्यान' की अनेक गाथाएँ 'मरण विभक्ति' में ज्यों की त्यों प्राप्त होती है। विस्तार भय के कारण यहाँ उन सभी गाथाओं को नहीं लिखकर मात्र उनके क्रमांक ही लिखे जा रहे हैं।
महाप्रत्याख्यान गाथा क्रमांक
मरण विभक्ति गाथा क्रमांक
२१० २११' २१७ २२० १२०, २२२ २२३ १०१ २२६ ११०, २२७ १११, २२८ ११२, २२९ २३० २३१ २३२२ २३३
०
الاس
د
الله
س
२३४३
३५
३६
G
२३५ २३६ २३७ २३८ २३९ २४० २४१ २४२
४०
0
0
1
१. यहाँ 'निरागारं' के स्थान पर 'अणागारं' शब्द प्रयुक्त हुआ है। २-३. यहाँ चौथे चरण में मात्र शाब्दिक भिन्नता है, भागवत तो समानता ही है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org