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में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उदयपुर में जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग तथा आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान की स्थापना आपके अथक प्रयासों का ही परिणाम है। आगम संस्थान के आप प्रारंभ से ही मंत्री रहे थे। श्री गणेश जैन छात्रावास के आप कई वर्षों तक संयोजक रहे और श्री अ०भा० सा० जैन संघ के पिछले ३ वर्षों से उपाध्यक्ष रहे थे। ___ आपके परिजनों में चार पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं तथा समाज सेवा की कड़ी में आपके सुपुत्र लायन्स क्लब एवं कई सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
संस्थान श्री हिंगर सा० के योगदान के लिए सदैव आभारी रहेगा।
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